Delhi Elections Result: 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली की सत्ता में वापसी करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) मात्र 22 सीटों तक सिमट गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “विकास और सुशासन की जीत” करार दिया। इस जीत के पीछे कौन-से कारक रहे और आप की हार के क्या कारण रहे? आइए इसका गहराई से विश्लेषण करते हैं।
भाजपा की जीत के पीछे कौन-से फैक्टर रहे?
- मोदी की लोकप्रियता: दिल्ली चुनावों में भाजपा का सबसे बड़ा आधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव बना। भाजपा ने अपने अभियान को उनके विकास कार्यों और राष्ट्रवादी छवि पर केंद्रित रखा, जिससे जनता में भरोसा बना रहा।
- रणनीतिक अभियान: शुरुआत में भाजपा पिछड़ती दिख रही थी, लेकिन छोटे स्तर की बैठकों और समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंच बनाकर पार्टी ने चुनावी रुख अपने पक्ष में मोड़ लिया।
- लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखने का वादा: भाजपा ने स्पष्ट किया कि सत्ता में आने पर वह मुफ्त बस यात्रा जैसी लोकप्रिय योजनाओं को नहीं रोकेगी, जिससे मतदाता आश्वस्त हुए।
- मिडिल क्लास और गवर्नेंस फैक्टर: पार्टी ने मध्यवर्गीय मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रदूषण, जल संकट और प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया, जिससे उसे इस वर्ग का समर्थन मिला।
- संघ और कैडर का संयुक्त प्रयास: भाजपा ने संगठन स्तर पर मजबूती दिखाते हुए कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत से उतारा, जिससे ग्राउंड लेवल पर व्यापक समर्थन मिला।
आप की हार के मुख्य कारण
- चुनावी अभियान में कमजोरी: अप्रैल 2024 में अरविंद केजरीवाल समेत कई शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी ने आप की चुनावी तैयारियों को गहरा झटका दिया। इससे पार्टी का ग्राउंड कैंपेन कमजोर पड़ गया।
- आंतरिक असंतोष और प्रशासनिक विफलता: पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ा, खासकर नगर निगम में कमजोर प्रदर्शन से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा।
- गवर्नेंस से जुड़े सवाल: दिल्ली में पानी संकट, रुकी हुई परियोजनाएँ और केंद्र-राज्य टकराव ने भाजपा को आप पर हमले करने का मौका दिया।
- ‘शीश महल’ विवाद: केजरीवाल के घर के महंगे रेनोवेशन को लेकर भाजपा ने आक्रामक प्रचार किया, जिससे मध्यम वर्ग में नकारात्मक छवि बनी।
- वोट बैंक में सेंध: भाजपा ने आप के परंपरागत मतदाताओं—झुग्गीवासियों और व्यापारियों—को साधने में सफलता पाई।
भविष्य का राजनीतिक परिदृश्य
भाजपा की यह जीत दिल्ली की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत देती है। क्या भाजपा अपनी चुनावी वादों को पूरा कर पाएगी? क्या आप इस हार से उबरकर वापसी कर सकेगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की राजनीति अब किस दिशा में आगे बढ़ती है।