Diplomatic win: भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण और साहसी मोड़ देखने को मिला है, जब लैटिन अमेरिकी देश कोलंबिया ने पाकिस्तान में मारे गए लोगों के लिए व्यक्त की गई अपनी संवेदना वापस ले ली है और अब वह भारत के रुख को मजबूती से समर्थन देने की तैयारी में है। यह घटनाक्रम केवल एक राजनयिक बदलाव नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक छवि और कूटनीतिक प्रभाव का परिचायक है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा किए गए गहन प्रयासों का यह प्रत्यक्ष परिणाम है, जिसने कोलंबिया के दृष्टिकोण को बदलने में अहम भूमिका निभाई।
Leader of Indian All-Party Parliamentary delegation Shashi Tharoor in Colombia on the big development and embarrassment for Pakistan: “The Vice Minister very graciously mentioned that they have withdrawn the statement that we had expressed concern about and that they fully… https://t.co/DINEMSalAL pic.twitter.com/G66mYAIFPZ
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 30, 2025
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक प्रतिक्रिया
7 मई 2025 को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमाओं पर किए गए उकसावे और आतंकी गतिविधियों के जवाब में किया गया था। भारत ने स्पष्ट किया कि यह कदम उसकी आत्मरक्षा के अधिकार के तहत था और इसका उद्देश्य आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करना था, न कि आम नागरिकों को निशाना बनाना।
हालांकि, ऑपरेशन के बाद कुछ देशों की प्रतिक्रियाएं भारत को हैरान करने वाली लगीं। विशेष रूप से कोलंबिया ने पाकिस्तान में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की, जिससे भारत में असंतोष की लहर दौड़ गई। भारतीय राजनयिक हलकों ने इस बयान को पक्षपातपूर्ण और अपूर्ण जानकारी पर आधारित बताया।
शशि थरूर और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की निर्णायक भूमिका
इस स्थिति में शशि थरूर के नेतृत्व में गठित सात-सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अमेरिका यात्रा निर्णायक साबित हुई। इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे, जिन्होंने एकजुट होकर भारत की स्थिति का पक्ष कोलंबियाई अधिकारियों के सामने रखा।
प्रतिनिधिमंडल ने यह स्पष्ट किया कि भारत ने किसी देश पर हमला नहीं किया, बल्कि केवल अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाया है। उन्होंने कोलंबियाई नेताओं को यह भी समझाया कि पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता आया है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उसी का जवाब था।
कोलंबिया का रुख बदला, भारत को मिला समर्थन
प्रतिनिधिमंडल की गंभीरता और तथ्यों के बल पर कोलंबिया ने अपनी पहले की संवेदना संबंधी टिप्पणी को वापस ले लिया। अब कोलंबिया भारत की स्थिति को समझ चुका है और वह भारत के पक्ष में एक स्पष्ट और मजबूत समर्थन का बयान जारी करेगा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मीडिया को बताया, “हमने कोलंबिया के उच्च अधिकारियों से बात की, उन्हें स्थिति की संपूर्ण जानकारी दी और खुशी की बात है कि उन्होंने भारत के रुख को समझा। कोलंबिया अब पाकिस्तान के समर्थन की जगह भारत के साथ खड़ा होगा, यह हमारे लिए एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है।”
भाजपा नेता तरणजीत सिंह संधू की पुष्टि
भाजपा नेता और पूर्व राजदूत तरणजीत सिंह संधू, जो इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, ने भी इस परिवर्तन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल द्वारा दी गई ब्रीफिंग ने कोलंबियाई अधिकारियों पर गहरा प्रभाव डाला। संधू ने कहा, “हमारे तथ्यों और तर्कों ने कोलंबिया को सोचने पर मजबूर किया और उन्होंने अपनी नीति में बदलाव किया। यह भारत की कूटनीतिक क्षमता की विजय है।”
भारत की विदेश नीति में नई ताकत
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए proactive तरीके से रणनीति बना रहा है। भारत अब यह समझ चुका है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैरेटिव पर पकड़ बनाना भी युद्ध जितने के बराबर है।
शशि थरूर ने कहा, “हम अब और उदार नहीं हो सकते। हमने दशकों तक शांतिपूर्ण रास्ता चुना, लेकिन जब हमारी सीमाओं पर हमला होता है, तो हमें मजबूती से जवाब देना होगा। कोलंबिया जैसे देश का समर्थन इस बात का प्रमाण है कि भारत का नैतिक और रणनीतिक पक्ष सही है।”
एक सकारात्मक संकेत
इस घटनाक्रम से यह भी संकेत मिलता है कि भारत की आवाज़ अब दुनिया में गंभीरता से सुनी जा रही है। जब एक लैटिन अमेरिकी देश अपनी पहले की नीति में इतना बड़ा बदलाव करता है, तो यह भारत की कूटनीतिक विश्वसनीयता की पुष्टि करता है। इससे न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा, बल्कि पाकिस्तान जैसे देशों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि झूठे नैरेटिव अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
कोलंबिया का यह नीतिगत परिवर्तन केवल एक बयान नहीं, बल्कि भारत की विश्व मंच पर बढ़ती ताकत और विश्वसनीयता का प्रतीक है। यह शशि थरूर, तरणजीत सिंह संधू और उनके जैसे नेताओं की दूरदृष्टि और परिश्रम का परिणाम है। भारत अब कूटनीति में केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली खिलाड़ी बन चुका है।
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