Donald Trump on US Inflation: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में ‘ड्रिल, बेबी, ड्रिल’ के नारे के साथ ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि अमेरिका के पास पृथ्वी के नीचे तरल सोने (तेल) का सबसे बड़ा भंडार है, जिसका उपयोग करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है।
‘ड्रिल, बेबी, ड्रिल’ का उद्भव और महत्व
‘ड्रिल, बेबी, ड्रिल’ का नारा पहली बार 2008 के रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में पूर्व मैरीलैंड लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल स्टील द्वारा प्रयोग किया गया था। यह नारा तब और लोकप्रिय हुआ जब उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार सारा पॉलिन ने इसे उपराष्ट्रपति बहस के दौरान दोहराया। इसका उद्देश्य घरेलू तेल और गैस उत्पादन को बढ़ावा देना था। ट्रम्प ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में इस नारे को पुनर्जीवित किया, जिससे यह उनके ऊर्जा नीति के केंद्र में आ गया।
ऊर्जा आपातकाल की घोषणा और नीतिगत परिवर्तन
जनवरी 2025 में अपने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद, ट्रम्प ने राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल की घोषणा की। इसका उद्देश्य अमेरिकी तेल और गैस उत्पादन को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा लागत को कम करना था। उन्होंने ऊर्जा अवसंरचना परियोजनाओं के लिए परमिट प्रक्रिया को तेज करने, अलास्का में तेल और गैस अन्वेषण पर पूर्व प्रतिबंधों को हटाने, और ग्रीन न्यू डील को समाप्त करने जैसे कदम उठाए। इसके अलावा, उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन जनादेश को निरस्त करने और पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को वापस लेने की भी घोषणा की।
राष्ट्रीय ऊर्जा प्रभुत्व परिषद का गठन
ट्रम्प प्रशासन ने राष्ट्रीय ऊर्जा प्रभुत्व परिषद का गठन किया, जिसका उद्देश्य अमेरिकी ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना और उद्योग में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है। इस परिषद के नेतृत्व में, लुइसियाना में एक बड़े तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) परियोजना को मंजूरी दी गई, जो अमेरिका की ऊर्जा निर्यात क्षमता को बढ़ाने और रोजगार सृजन में सहायक होगी। इसके अलावा, प्रशासन ने 625 मिलियन एकड़ से अधिक क्षेत्र में अपतटीय तेल ड्रिलिंग पर पूर्व प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लिया।
उद्योग की प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ
ट्रम्प के ‘ड्रिल, बेबी, ड्रिल’ आह्वान के बावजूद, तेल उत्पादकों ने उत्पादन बढ़ाने में सतर्कता दिखाई है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियाँ राजनीतिक दबाव के बजाय मूल्य संकेतों, लाभप्रदता और शेयरधारकों की प्राथमिकताओं के आधार पर निर्णय लेती हैं। बाजार की अनिश्चितताओं और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य के बदलते स्वरूप के कारण, कंपनियाँ पूंजी अनुशासन और रणनीतिक वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
वैश्विक बाजार और मूल्य निर्धारण
अमेरिकी तेल उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, वैश्विक बाजार कारक तेल की कीमतों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब जैसे देश अपनी उत्पादन नीतियों को समायोजित कर सकते हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति और मूल्य संरचना प्रभावित होती है। इसलिए, घरेलू उत्पादन बढ़ाने से आवश्यक रूप से उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में कमी नहीं हो सकती है।
पर्यावरणीय चिंताएँ और प्रतिक्रिया
ट्रम्प की नीतियों ने पर्यावरणविदों और जलवायु वैज्ञानिकों के बीच चिंता बढ़ाई है। ग्रीन न्यू डील को समाप्त करने, इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहनों को हटाने, और पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने जैसे कदमों को पर्यावरण संरक्षण के लिए खतरा माना जा रहा है। इन नीतियों से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में वृद्धि और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
भविष्य की दिशा
ट्रम्प प्रशासन की ऊर्जा नीतियाँ अमेरिकी ऊर्जा प्रभुत्व को बढ़ाने के उद्देश्य से हैं, लेकिन उन्हें उद्योग की वास्तविकताओं, वैश्विक बाजार की गतिशीलता और पर्यावरणीय चिंताओं के साथ संतुलित करना आवश्यक होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये नीतियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था, ऊर्जा बाजार और पर्यावरण पर कैसे प्रभाव डालती हैं।