Donald Trump on USAID: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को भारत को मतदान प्रोत्साहन (वोटर टर्नआउट) के लिए 21 मिलियन डॉलर की सहायता देने के उद्देश्य पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे अधिक कर वसूलने वाले देशों में से एक है और उनके लिए यह समझ से परे है कि अमेरिका ऐसे देश को इतनी बड़ी राशि क्यों दे रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब एलन मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने खुलासा किया कि यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने भारत के चुनाव आयोग (EC) को मतदान प्रोत्साहन के लिए 21 मिलियन डॉलर का योगदान दिया था।
#WATCH | US President Donald Trump says, “Why are we giving $21 million to India? They have a lot more money. They are one of the highest taxing countries in the world in terms of us; we can hardly get in there because their tariffs are so high. I have a lot of respect for India… pic.twitter.com/W26OEGEejT
— ANI (@ANI) February 18, 2025
ट्रंप ने मार-ए-लागो में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास हमसे कहीं अधिक पैसा है। वे दुनिया के सबसे अधिक कर वसूलने वाले देशों में से एक हैं। हम वहां व्यापार करने में भी मुश्किल से सफल हो पाते हैं क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं।”
हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत सम्मान है। उन्होंने कहा, “मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मतदान प्रोत्साहन के लिए 21 मिलियन डॉलर देना? यह समझ से परे है।” ट्रंप और मोदी के बीच हाल ही में द्विपक्षीय वार्ता हुई थी, जिसमें व्यापार, अवैध प्रवासन, रक्षा और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई थी।
राजनीतिक घमासान
DOGE द्वारा जारी की गई सूची में भारत को मतदान प्रोत्साहन के लिए दी गई 21 मिलियन डॉलर की सहायता का जिक्र किया गया था। इसके बाद भारत में भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक बहस छिड़ गई। भाजपा ने इस मामले की जांच की मांग की है, जबकि कांग्रेस ने विदेशी हस्तक्षेप की आशंका जताई है।
भाजपा सांसद महेश जेठमलानी ने कहा, “DOGE ने खुलासा किया है कि USAID ने भारत में मतदान प्रोत्साहन के लिए 21 मिलियन डॉलर आवंटित किए थे। यह राशि मतदाताओं को पैसे देकर मतदान कराने और सरकार बदलने के लिए इस्तेमाल की गई हो सकती है। 2021 में वीना रेड्डी को USAID की भारत मिशन प्रमुख के रूप में भेजा गया था। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद वह अमेरिका लौट गईं। अफसोस की बात है कि भारत की जांच एजेंसियां उनसे इस राशि के बारे में सवाल नहीं पूछ सकीं।”
चुनाव आयोग का बयान
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग का USAID के साथ एक समझौता जरूर था, लेकिन इसमें किसी तरह की वित्तीय सहायता शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि USAID ने चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने और मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता दी थी।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने भी भारत के चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप की आशंका जताई है। पार्टी ने मोदी सरकार से USAID के दावों की जांच करने और किसी भी गलत काम का पता चलने पर कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “भारत एक संप्रभु देश है और हम किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार को इस मामले की तुरंत जांच करनी चाहिए।”
यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई बहस छेड़ सकता है। जहां एक ओर ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली सहायता पर सवाल उठाए हैं, वहीं भारत में राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या घटनाक्रम सामने आते हैं और क्या इससे दोनों देशों के बीच संबंध प्रभावित होंगे।