Donald Trump tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक व्यापार को हिलाकर रख दिया है। अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में फंसे चीन और भारत जैसे देश अब नए सिरे से अपनी आर्थिक रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प के टैरिफ भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब ला सकते हैं, जो ऐतिहासिक रूप से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं।
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— RT_India (@RT_India_news) April 2, 2025
अमेरिकी टैरिफ का वैश्विक प्रभाव
डोनाल्ड ट्रम्प ने “लिबरेशन डे” के मौके पर चीन समेत कई देशों पर नए आयात शुल्क लगाने की घोषणा की। इनमें स्टील, एल्युमिनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल उत्पाद शामिल हैं। अमेरिका का दावा है कि यह कदम “अनुचित व्यापार प्रथाओं” के खिलाफ उठाया गया है, लेकिन इससे वैश्विक बाजार में तनाव बढ़ गया है।
इस नीति का सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा है, जो पहले से ही अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध की स्थिति में है। वहीं, भारत जैसे देश, जो अमेरिका के पारंपरिक व्यापार साझेदार रहे हैं, को भी अपनी निर्यात नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
भारत-चीन संबंधों में नया मोड़?
भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा रही है। लेकिन अमेरिकी टैरिफ ने दोनों देशों को एक नए सहयोग की दिशा में सोचने पर मजबूर किया है।
1. व्यापारिक निर्भरता कम करने की जरूरत
- चीन अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, लेकिन टैरिफ के कारण उसके निर्यात में गिरावट आई है।
- भारत भी अमेरिका को बड़ी मात्रा में फार्मा, आईटी और कृषि उत्पाद निर्यात करता है, लेकिन नए शुल्क से उसे नुकसान हो सकता है।
इसलिए, दोनों देश अब वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रहे हैं। भारत चीन के लिए एक बड़ा बाजार हो सकता है, जबकि चीन भारत के लिए निवेश और तकनीक का स्रोत बन सकता है।
2. आरसीईपी (RCEP) पर सहमति
भारत और चीन आसियान देशों के साथ रिजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) पर सहमत हो रहे हैं। यह समझौता एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाएगा, जिससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी।
3. ब्रिक्स और SCO का बढ़ता प्रभाव
भारत और चीन दोनों ब्रिक्स (BRICS) और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के सदस्य हैं। इन मंचों के जरिए दोनों देश आर्थिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ा सकते हैं।
क्या भारत-चीन साझेदारी टिकाऊ होगी?
हालांकि भारत और चीन के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ने की संभावना है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं:
1. सीमा विवाद और राजनीतिक तनाव
- गलवान घाटी संघर्ष और लद्दाख तनाव ने दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित किया है।
- चीन का पाकिस्तान को समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
2. व्यापार असंतुलन
- भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है। 2023 में यह $100 अरब के पार पहुंच गया।
- भारत चाहता है कि चीन उसके फार्मा, आईटी और कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार खोले।
3. अमेरिका के साथ भारत का सामरिक संबंध
भारत अमेरिका के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग को लेकर गहरे संबंध बना रहा है। ऐसे में चीन के साथ पूरी तरह साझेदारी करना मुश्किल हो सकता है।
क्या होगा भविष्य?
ट्रम्प के टैरिफ ने भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब लाने की संभावना पैदा की है। हालांकि, यह साझेदारी कितनी मजबूत होगी, यह दोनों देशों की राजनीतिक और आर्थिक रणनीतियों पर निर्भर करेगा।
अगर भारत और चीन व्यापार असंतुलन को कम करने और सीमा विवादों को सुलझाने में सफल होते हैं, तो वे अमेरिकी दबाव के खिलाफ एक मजबूत आर्थिक गठबंधन बना सकते हैं। वरना, यह संबंध सिर्फ एक अस्थायी समझौता ही साबित होगा।