
Eid-ul-Fitr 2025: ईद-उल-फ़ित्र के पावन अवसर पर देशभर में उल्लास और भाईचारे का माहौल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शुभ अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं।
Greetings on Eid-ul-Fitr.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2025
May this festival enhance the spirit of hope, harmony and kindness in our society. May there be joy and success in all your endeavours.
Eid Mubarak!
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संदेश में कहा, “ईद-उल-फ़ित्र के मुबारक मौके पर, मैं सभी देशवासियों और विदेश में रहने वाले भारतीयों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई और शुभकामनाएँ देती हूँ। रमज़ान के पवित्र माह के दौरान कठोर उपवास के बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में लिखा, “ईद-उल-फ़ित्र की शुभकामनाएँ। मैं कामना करता हूँ कि यह अवसर करुणा, एकजुटता और शांति की भावना को और फैलाए। सभी लोग खुश और स्वस्थ रहें। ईद मुबारक।”
ईद-उल-फ़ित्र, जिसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है, रमज़ान के महीने के उपवासों की समाप्ति का प्रतीक है। यह त्योहार आत्मसंयम, त्याग और आध्यात्मिक उन्नति का उत्सव है, जो समाज में प्रेम, करुणा और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।
इस अवसर पर, विभिन्न समुदायों के लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाइयाँ बाँटते हैं और सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत करते हैं। ईद की नमाज़ के बाद, लोग एक-दूसरे को गले लगाकर ‘ईद मुबारक’ कहते हैं, जो आपसी स्नेह और एकता का प्रतीक है।
देश के विभिन्न हिस्सों में ईद का जश्न मनाया जा रहा है। केरल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ईद-उल-फ़ित्र का त्योहार बुधवार को मनाया गया, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह बृहस्पतिवार को मनाया गया।
भारत में ईद का इतिहास भी अत्यंत समृद्ध रहा है। मुगल काल से लेकर आधुनिक समय तक, यह त्योहार हर युग में विशेष महत्व रखता आया है। ऐतिहासिक रूप से, यह त्योहार सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह समाज में सौहार्द और एकता का प्रतीक भी रहा है। पुराने समय में राजा-महाराजा भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाते थे, और दरबारों में विशेष आयोजन होते थे।
ईद के अवसर पर बाजारों में भी भारी चहल-पहल देखी जाती है। कपड़े, मिठाइयाँ और अन्य सामानों की खरीदारी के लिए लोग बाजारों में उमड़ते हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद, लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह और मुंबई की मिनारा मस्जिद जैसे स्थलों पर विशेष नमाज़ अदा की जाती है, जहाँ हजारों लोग शामिल होते हैं।
ईद-उल-फ़ित्र का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि समाज में प्रेम, करुणा और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना कितना महत्वपूर्ण है। यह अवसर हमें दया, परोपकार और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। आइए, इस शुभ अवसर पर हम सभी मिलकर एक समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में अग्रसर हों।