FM Nirmala Sitharaman to introduce Income: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 13 फरवरी को लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 पेश करेंगी। यह विधेयक देश के कर कानूनों को सरल और अद्यतन बनाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।
Union Finance Minister Nirmala Sitharaman to introduce The Income-Tax Bill, 2025 in Lok Sabha tomorrow, February 13, to consolidate and amend the law relating to income-tax.
— ANI (@ANI) February 12, 2025
संसद के आधिकारिक कार्यसूची के अनुसार, “श्रीमती निर्मला सीतारमण आयकर से संबंधित कानूनों को संहिताबद्ध और संशोधित करने के लिए एक विधेयक पेश करने की अनुमति मांगेंगी।” यह विधेयक वर्तमान में लागू छह दशक पुराने आयकर अधिनियम 1964 की जगह लेगा, जिसमें वर्षों से कई संशोधन जोड़े गए हैं।
कोई नया कर नहीं, सिर्फ सरल भाषा में संशोधन
नए विधेयक में कोई नया कर नहीं जोड़ा गया है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य वर्तमान आयकर अधिनियम को अधिक सरल और स्पष्ट बनाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि नया कानून अप्रैल 2026 से प्रभावी हो सकता है।
यह विधेयक जटिल और अप्रासंगिक हो चुके प्रावधानों को हटाकर कर अनुपालन को आसान बनाने और कर संबंधी मुकदमों को कम करने में मदद करेगा। सरकार चाहती है कि कर कानून अधिक पारदर्शी और करदाताओं के लिए सहज हों, जिससे आम नागरिकों और व्यावसायिक संस्थानों को कोई कठिनाई न हो।
पुराने और अप्रासंगिक प्रावधान हटाए जाएंगे
नए विधेयक में उन प्रावधानों को हटा दिया गया है, जो अब उपयोगी नहीं हैं या जिनका कोई व्यावहारिक महत्व नहीं रहा। उदाहरण के लिए, फ्रिंज बेनिफिट टैक्स से संबंधित अनुभाग को हटा दिया गया है। इस विधेयक को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह अनावश्यक स्पष्टीकरणों और उपधाराओं से मुक्त हो, जिससे इसे पढ़ना और समझना आसान हो जाए।
वर्तमान आयकर अधिनियम में ‘स्पष्टीकरण’ और ‘प्रावधान’ जैसे शब्दों का अधिक उपयोग किया गया था, जिससे इसे समझना जटिल हो जाता था। नए विधेयक में ऐसे शब्दों को हटाकर इसे सीधा और स्पष्ट बनाया गया है। इसके अलावा, ‘नॉटविथस्टैंडिंग’ (तथापि, इसके बावजूद) जैसे कठिन कानूनी शब्दों को हटा दिया गया है और इसकी जगह ‘इर्रेस्पेक्टिव’ (इसके बावजूद भी) शब्द का उपयोग किया गया है, जिससे भाषा अधिक सहज हो गई है।
‘आकलन वर्ष’ और ‘पिछला वर्ष’ की जगह ‘कर वर्ष’ का नया प्रावधान
नए विधेयक में कराधान से जुड़े कुछ पारंपरिक शब्दावली को भी बदला गया है ताकि कर प्रणाली को सरल बनाया जा सके। वर्तमान व्यवस्था में, ‘पिछला वर्ष’ (जिस वर्ष में आय अर्जित की जाती है) और ‘आकलन वर्ष’ (जिस वर्ष में उस आय का कर निर्धारण होता है) की अवधारणा प्रचलित थी। इसे बदलकर अब ‘कर वर्ष’ (टैक्स ईयर) कर दिया गया है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच आय अर्जित करता है, तो इसे वित्तीय वर्ष 2025-26 में आकलन किया जाता था। लेकिन नए विधेयक के तहत इसे सीधे कर वर्ष के रूप में पहचाना जाएगा, जिससे करदाता के लिए इसे समझना आसान हो जाएगा।
नया विधेयक क्यों जरूरी है?
आयकर अधिनियम 1964 में वर्षों से कई संशोधन किए गए, जिससे इसकी भाषा जटिल और समझने में कठिन हो गई थी। कई प्रावधान अब अप्रासंगिक हो गए हैं, लेकिन वे अभी भी अधिनियम में मौजूद हैं, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। नया विधेयक इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है और इसे सरल, पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने पर जोर देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए विधेयक से करदाताओं की शिकायतें कम होंगी, अनुपालन प्रक्रिया सरल होगी और सरकार व करदाताओं के बीच अनावश्यक विवादों की संख्या में कमी आएगी।
सरकार इस विधेयक को पारित करवाने के लिए संसद में चर्चा करेगी और यदि इसे स्वीकृति मिलती है, तो यह 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जा सकता है।
निष्कर्ष
नया आयकर विधेयक 2025 भारत की कर प्रणाली को अधिक आधुनिक, पारदर्शी और करदाताओं के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वर्तमान कानून की जटिलताओं को दूर कर, इसे सरल और सुगम बनाने का प्रयास करता है। सरकार को उम्मीद है कि यह विधेयक न केवल करदाताओं के लिए फायदेमंद साबित होगा, बल्कि कर प्रशासन को भी अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाएगा।