“Hell on Earth”: गाज़ा पट्टी एक बार फिर दुनिया की आंखों के सामने एक ऐसी त्रासदी का गवाह बन रही है जिसे देखकर हर संवेदनशील मन दहल जाए। पिछले 48 घंटों में गाज़ा में भूख से 33 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकांश बच्चे हैं। ये आंकड़े एक बार फिर इस ओर इशारा करते हैं कि युद्ध से कहीं ज़्यादा जानें अब भूख और कुपोषण के कारण जा रही हैं।
People in Gaza are starving to death.@UNICEF is warning that deadly malnutrition among children is reaching catastrophic levels.
— United Nations (@UN) July 22, 2025
Humanitarian aid at scale is urgently needed.
Safe, unrestricted access into Gaza must be granted to save lives. pic.twitter.com/bqukly03mG
इस युद्ध की शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी। तब से अब तक कुल 101 लोगों की मौत भूख और कुपोषण के चलते हो चुकी है, जिनमें से 80 बच्चे हैं। इस आंकड़े ने दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को झकझोर कर रख दिया है।
गाज़ा में बढ़ता मानवीय संकट
गाज़ा में हालत इतने भयावह हो चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी UNRWA के डॉक्टर, नर्स, और मेडिकल स्टाफ भी अब भूख से जूझ रहे हैं। राहत केंद्रों में दवाइयां और खाना खत्म हो चुका है। कुछ जगहों पर मेडिकल ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर खुद बेहोश हो जा रहे हैं।
राहतकर्मियों ने बताया कि अब वे खुद को बचाने की स्थिति में नहीं हैं। हर दिन किसी न किसी इलाके से बच्चों के कुपोषण से मरने की खबरें आ रही हैं। जो मां-बाप खुद भूखे हैं, वे अपने बच्चों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे।
क्यों बढ़ा संकट?
गाज़ा में यह संकट केवल युद्ध की वजह से नहीं, बल्कि उससे जुड़ी बेरोकटोक नाकाबंदी, सीमित सहायता पहुंच, और राजनीतिक जटिलताओं के कारण भी है।
मार्च 2024 से गाज़ा पर खाद्य सामग्री, दवाइयों और ईंधन की आपूर्ति लगभग बंद है। सीमाओं पर सैकड़ों ट्रक महीनों से खड़े हैं जिन्हें इज़राइली सेना की मंजूरी नहीं मिल रही। इस बीच, हजारों लोग भूख से मर रहे हैं।
राहत एजेंसियों का कहना है कि अगर इसी तरह सीमाएं बंद रहीं, तो आने वाले महीनों में पूरे गाज़ा में अकाल जैसी स्थिति बन जाएगी। पहले जहां भूख से मौतें अपवाद थीं, अब यह आम खबर बन चुकी है।
भूख से मौतों के आंकड़े
पिछले 10 महीनों में 101 लोग भूख से मर चुके हैं, जिनमें से 80 बच्चे हैं। पिछले 48 घंटे में 33 मौतें दर्ज की गई हैं। ये आंकड़े केवल एक भयावह सच्चाई को दर्शाते हैं—गाज़ा अब एक मानवीय संकट का केंद्र बन चुका है।
राहत सामग्री लेने गए लोगों पर फायरिंग और भगदड़ में अब तक 1,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। ये सभी लोग राहत ट्रकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे।
राहत एजेंसियों की हालत
UNRWA, WHO, UNICEF और कई दूसरी संस्थाएं पिछले कई महीनों से लगातार चेतावनी दे रही हैं कि गाज़ा में खाद्य संकट अब नियंत्रण से बाहर हो रहा है। UN के एक प्रवक्ता ने बताया कि अब हालात इतने खराब हो चुके हैं कि राहतकर्मी खुद भोजन और पानी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं।
कई अस्पतालों में स्टाफ भूखे पेट ड्यूटी कर रहा है। ऑपरेशन थियेटर में बिजली नहीं है, जेनरेटर बंद हो चुके हैं क्योंकि डीज़ल नहीं बचा। दवाइयों की कमी के चलते साधारण इलाज भी संभव नहीं है।
बच्चों की हालत सबसे खराब
गाज़ा में 5 साल से कम उम्र के लगभग 71,000 बच्चे तीव्र कुपोषण के शिकार हैं। इनमें से 14,000 बच्चों की हालत गंभीर है और उन्हें तुरंत इलाज और पोषण की ज़रूरत है।
UNICEF ने चेतावनी दी है कि अगर तत्काल राहत नहीं पहुंचाई गई, तो इन बच्चों की मौत केवल समय की बात है। कई शिशु अस्पतालों में भूखे पैदा हो रहे हैं और जन्म के पहले 48 घंटे में दम तोड़ रहे हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
गाज़ा के इस संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि गाज़ा अब एक “पृथ्वी पर नरक” बन चुका है। उन्होंने इसे “हॉरर शो” कहा है और कहा है कि यह स्थिति मानवीय गरिमा के सभी मापदंडों को लांघ चुकी है।
कई देशों ने इज़राइल से यह अपील की है कि वह मानवीय राहत को बिना किसी शर्त के गाज़ा में प्रवेश की अनुमति दे। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई अभी तक सामने नहीं आई है।
समाधान क्या है?
1. सीमाएं खोलना
गाज़ा में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए इज़राइल को तुरंत सीमाएं खोलनी होंगी। बिना ईंधन, दवा और खाना पहुंचाए हालात सुधर नहीं सकते।
2. स्वतंत्र राहत कॉरिडोर बनाना
एक ऐसा राहत कॉरिडोर बनाना चाहिए जो युद्ध क्षेत्र से स्वतंत्र हो और जहां से सुरक्षित मार्ग से खाद्य और दवाइयों की आपूर्ति हो सके।
3. राजनीतिक समाधान पर ज़ोर
संयुक्त राष्ट्र और अन्य बड़ी शक्तियों को मिलकर इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष विराम के लिए दबाव बनाना होगा ताकि आम नागरिकों को राहत मिल सके।
4. राहतकर्मियों को सुरक्षा
राहत कर्मियों को भोजन, दवा और सुरक्षा उपलब्ध कराना भी अत्यंत आवश्यक है ताकि वे अपने कार्य को जारी रख सकें।
उम्मीद की किरण
UNICEF और WFP ने पुष्टि की है कि बॉर्डर के पास लाखों किलो राहत सामग्री पहले से मौजूद है—बस अनुमति का इंतजार है। अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो अगले 48 घंटे में हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
इसके साथ ही, कुछ देशों ने अब इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने की मांग की है, जिससे राहत जल्दी पहुंच सके।
गाज़ा की मौजूदा हालत केवल युद्ध नहीं बल्कि मानवीय असंवेदनशीलता का भी परिणाम है। जब बच्चे भूख से मरने लगें, जब डॉक्टर खुद बेहोश हो जाएं और जब मदद केवल इसलिए न पहुंचे क्योंकि कोई ‘मंजूरी’ नहीं मिली—तो यह केवल त्रासदी नहीं, एक सामूहिक विफलता है।
आज ज़रूरत है एकजुट प्रयासों की, तेज़ निर्णयों की और ऐसी राजनीति की जिसमें इंसानियत को प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि अगर अब भी हम चुप रहे, तो इतिहास गवाह होगा कि हमने बच्चों को भूख से मरते देखा और कुछ नहीं किया।
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