India-Pakistan Conflict: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह घटना भारत में पिछले एक दशक का सबसे घातक आतंकी हमला मानी जा रही है, जिसने देश की सुरक्षा एजेंसियों और राजनीतिक नेतृत्व को त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर दिया है।
🚨BIG BREAKING
— Amitabh Chaudhary (@MithilaWaala) May 5, 2025
Defence Secretary Rajesh Kumar Singh is currently meeting PM Narendra Modi.
In next 72 hours , PM Modi has done one to one meetings with Indian Air Force Chief , Indian Navy Chief and J&K CM Omar Abdullah. #PahalgamTerroristAttack pic.twitter.com/Drl6xyeviy
हमला: सुनियोजित और निर्मम
बाइसारन घाटी, जो आमतौर पर पर्यटकों के लिए एक शांत स्थल के रूप में जानी जाती है, उस दिन खून से लाल हो गई जब 5 से 7 आतंकवादियों ने वहां मौजूद लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। आतंकी अमेरिकी M4 कार्बाइन और AK-47 राइफलों से लैस थे। खास बात यह रही कि उन्होंने अपने हेलमेट में लगे कैमरों से पूरी घटना को रिकॉर्ड किया, जिससे इस हमले की पूर्व योजना और मनोवैज्ञानिक आतंक पैदा करने की मंशा स्पष्ट होती है।
प्रधानमंत्री मोदी की त्वरित प्रतिक्रिया
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश सचिव शामिल हुए। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सुरक्षा बलों को “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” दी गई है और उन्होंने चेतावनी दी कि भारत इस हमले का जवाब “कल्पना से परे” देगा।
सेना और वायुसेना की तैयारी
भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना सभी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। नियंत्रण रेखा (LoC) पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। वायुसेना ने अपने अडवांस्ड फाइटर जेट्स और स्ट्राइक स्क्वॉड्रनों को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया है। नौसेना ने पश्चिमी समुद्री सीमा पर अपनी गश्त को बढ़ा दिया है और परमाणु पनडुब्बियों को सक्रिय स्थिति में रखा गया है।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना ने उन संभावित आतंकी लॉन्चपैड्स को चिह्नित कर लिया है जहां से इस हमले की योजना बनाई गई थी। इसके जवाब में ‘प्रिसिशन स्ट्राइक’ की संभावना जताई जा रही है, जैसा कि भारत ने 2016 में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान किया था।
पाकिस्तान की स्थिति और कूटनीतिक दबाव
भारत ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पर हमला प्रायोजित करने का आरोप लगाया है, हालांकि पाकिस्तान ने इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि वह भी आतंकवाद के खिलाफ है। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने ‘अब्दाली’ नाम की बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर भारत को कड़ा संकेत दिया है।
भारत ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब कर तीव्र विरोध जताया और नई दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमिशन के स्टाफ को कम करने का निर्देश दिया है। भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा भी शुरू कर दी है।
घाटी में चल रही सुरक्षा कार्रवाई
घाटी में सुरक्षा बलों द्वारा चलाया गया तलाशी अभियान अब तक का सबसे बड़ा माना जा रहा है। हजारों सुरक्षाकर्मियों ने साउथ कश्मीर के दर्जनों गांवों में छापेमारी की। अब तक करीब 2000 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। कई संदिग्धों के घरों को तोड़ा गया है और इंटरनेट सेवाएं सीमित की गई हैं।
यह तलाशी अभियान कुछ मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर है, जो इसे “सामूहिक दंड” मान रहे हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई जरूरी है ताकि ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति न हो।
अमरनाथ यात्रा पर भी असर
यह हमला अमरनाथ यात्रा से कुछ सप्ताह पहले हुआ है, जिससे यात्रा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है। सरकार ने कहा है कि यात्रा अपने तय कार्यक्रम पर ही होगी, लेकिन इस बार सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व स्तर की होगी। CRPF और BSF की अतिरिक्त टुकड़ियाँ घाटी में तैनात की जा रही हैं और ड्रोन निगरानी बढ़ाई जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारत में हुए हमले की कड़ी निंदा की है और भारत-पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है और पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है।
पहलगाम का हमला न केवल एक जघन्य आतंकी वारदात है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, क्षेत्रीय कूटनीति और सैन्य रणनीति की अग्नि परीक्षा भी है। भारत अब पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहा है। जवाबी कार्रवाई कैसी होगी — यह समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि अब आतंकी हमलों के खिलाफ भारत की नीति “धैर्य” नहीं, बल्कि “निर्णायक” रूप ले चुकी है।
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