India-US Partnership Set to Deepen

India-US Partnership Set to Deepen: “भारत के बिना अधूरा है अमेरिका का भविष्य”, रायसीना डायलॉग में तुलसी गैबर्ड का बड़ा बयान

India-US Partnership Set to Deepen: नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग 2025 में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबर्ड ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “अमेरिका फर्स्ट का मतलब अमेरिका अकेला नहीं है।” इस वक्तव्य के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि अमेरिका अपने वैश्विक साझेदारों, विशेष रूप से भारत के साथ, सहयोग को और भी गहराई देना चाहता है।

तुलसी गैबर्ड की यह यात्रा न सिर्फ औपचारिक थी, बल्कि इसमें रणनीतिक और तकनीकी मुद्दों पर गंभीर संवाद हुआ। गैबर्ड ने भारतीय समकक्षों के साथ कई दौर की बातचीत की और इसे “रचनात्मक और सकारात्मक” बताया। उन्होंने कहा कि उनकी यह यात्रा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले स्थापित संबंधों की नींव पर नए सिरे से साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में साझेदारी

गैबर्ड का भारत दौरा मुख्य रूप से साइबर सुरक्षा, उभरती तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित था। उनका मानना है कि ये क्षेत्र आने वाले समय में किसी भी देश की सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर इन उभरते क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूती दे ताकि दोनों देश आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामना कर सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा साझेदारी अब पारंपरिक रक्षा समझौतों से आगे बढ़ चुकी है। अब दोनों देश डिजिटल सुरक्षा, डेटा प्रोटेक्शन और तकनीकी नवाचार में भी सहयोग को नया आयाम दे रहे हैं।

राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की साझेदारी की विरासत

तुलसी गैबर्ड ने अपने भाषण में बार-बार पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त पहलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों में नई गति आई थी, और उनकी यह यात्रा उसी विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में है।

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका का उद्देश्य केवल अपने हित साधना नहीं है, बल्कि वह अपने सहयोगियों को भी साथ लेकर आगे बढ़ना चाहता है। “अमेरिका फर्स्ट” की नीति में भी सहयोग, संवाद और साझेदारी को स्थान दिया गया है, न कि अलगाव को।

भारत-अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक संबंध

गैबर्ड ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध अब केवल रक्षा और सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी गहराई आ रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश में निरंतर वृद्धि हो रही है, और इससे दोनों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिल रहा है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत-अमेरिका पीपल-टू-पीपल कनेक्ट यानी लोगों के बीच संबंधों में भी मजबूती आई है। चाहे वह शिक्षा हो, तकनीकी क्षेत्र में स्टार्टअप्स का सहयोग हो या फिर सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों देशों के लोग अब एक-दूसरे से अधिक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।

वैश्विक स्थिरता में भारत की भूमिका

गैबर्ड ने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत की सक्रिय भूमिका न केवल आवश्यक है, बल्कि यह दोनों देशों के हित में भी है।

गैबर्ड का यह भी मानना है कि भारत एक भरोसेमंद लोकतांत्रिक साझेदार है, जो वैश्विक मंच पर अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपनी रणनीतिक साझेदारी को और भी व्यापक और गहन बनाना होगा ताकि बदलती दुनिया में अपनी भूमिका को मजबूती से निभाया जा सके।

तुलसी गैबर्ड की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई ऊर्जा और विश्वास का संचार करती है। उनका यह स्पष्ट संदेश कि “अमेरिका अकेला नहीं है”, यह दिखाता है कि अमेरिका बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देता है। आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा, उभरती तकनीकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में साझेदारी निश्चित रूप से नए आयाम छुएगी।

यह दौरा न केवल दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और भी सुदृढ़ करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन वार्ताओं का व्यावहारिक रूप से क्या परिणाम निकलता है और भारत-अमेरिका साझेदारी किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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