Indian Army’s strong message: हाल ही में भारतीय सेना के एयर डिफेंस महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। उनका कहना है कि भारत अब इस स्थिति में है कि वह पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में सटीक और निर्णायक हमला कर सकता है। चाहे वह रावलपिंडी हो या खैबर पख्तूनख्वा — भारत की सेना पाकिस्तान की पूरी चौड़ाई और गहराई तक प्रभावशाली कार्रवाई करने की क्षमता रखती है।
पूरा पाकिस्तान हमारी रेंज में है,
— Panchjanya (@epanchjanya) May 20, 2025
अगर हमने हमला किया तो पाकिस्तानियों को छिपने के लिए बिल ढूंढना पड़ेगा।
भारत के पास ऐसा हथियार भंडार है, जो पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकता है।
यानी पाकिस्तान में किसी भी जगह, कही भी भारत हमला करके दुश्मनों का कचूमर निकाल सकता… pic.twitter.com/ywAwnSKnQI
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने खासतौर पर यह कहा कि यदि पाकिस्तान अपनी सेना का मुख्यालय (GHQ) रावलपिंडी से उठाकर कहीं और—जैसे खैबर पख्तूनख्वा—शिफ्ट भी कर दे, तो भी वह भारत की मारक क्षमताओं से बच नहीं पाएगा। उनके शब्दों में, “उन्हें इतनी गहरी जगह खोजनी होगी कि वे हमारे निशाने से बच सकें।”
ऑपरेशन सिंदूर: एक रणनीतिक जीत
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक सीमित लेकिन अत्यधिक सटीक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन 7 मई से 10 मई 2025 के बीच चला, और इसका मकसद था आतंकवाद के ठिकानों को जड़ से खत्म करना — खासकर वे जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित थे।
ऑपरेशन के तहत आतंकवादी लॉन्च पैड्स, ड्रोन कंट्रोल सेंटर, गोला-बारूद डिपो और अन्य सैन्य बुनियादी ढांचे को लक्ष्य बनाकर ध्वस्त किया गया। इस अभियान की खास बात यह रही कि इसमें नागरिक क्षेत्रों को पूरी तरह बचाया गया और केवल सैन्य या आतंकवादी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया।
स्वदेशी तकनीक की शक्ति: आकाशतीर प्रणाली
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में भारत की स्वदेशी एयर डिफेंस प्रणाली ‘आकाशतीर’ का विशेष योगदान रहा। यह एक नेटवर्क-केंद्रित वायु रक्षा प्रणाली है, जो वास्तविक समय में दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को ट्रैक कर उन्हें मार गिराती है। ऑपरेशन के दौरान इस सिस्टम ने 100% सफलता दर के साथ सभी ड्रोन हमलों को निष्क्रिय किया।
यह भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक है कि अब देश अपनी रक्षा केवल आयातित हथियारों के भरोसे नहीं करता, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के तहत अपने ही विकसित किए गए सिस्टम्स से दुश्मनों को जवाब देने में सक्षम हो चुका है।
तीनों सेनाओं का तालमेल: जीत की कुंजी
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, वायु सेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के बीच बेहद करीबी और प्रभावशाली समन्वय देखने को मिला। राजस्थान के लोंगेवाला, जो कभी 1971 की लड़ाई का गवाह था, एक बार फिर सेना की रणनीतिक तैयारी का केंद्र बना। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने वहाँ तैनात जवानों की विशेष सराहना की, जिन्होंने अत्यंत कठिन रेगिस्तानी परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी को न केवल निभाया, बल्कि उसका उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
इस अभियान के दौरान ड्रोन हमलों की आशंका थी, लेकिन सेना की पूर्व तैयारी और आकाशतीर जैसे एडवांस सिस्टम्स की वजह से कोई भी ड्रोन भारतीय सीमा के भीतर सफल नहीं हो सका।
सरकार का रुख: स्पष्ट और निर्णायक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन की सफलता पर टिप्पणी करते हुए इसे “कुशल सर्जनों” के हाथों से किया गया सर्जिकल ऑपरेशन बताया। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों ने इस प्रकार की रणनीति अपनाई, जिससे दुश्मन के ठिकानों को समाप्त करते हुए भी किसी भी नागरिक को हानि न पहुँचे।
यह भारत की “शून्य सहिष्णुता” की नीति का स्पष्ट उदाहरण है — जहाँ आतंकवाद के विरुद्ध न केवल कड़ी भाषा का प्रयोग किया जाता है, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर निर्णायक कार्रवाई भी की जाती है।
पाकिस्तान को सख्त संदेश
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा का बयान सिर्फ एक सैन्य चेतावनी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है कि अब भारत न केवल आत्मरक्षा में सक्षम है, बल्कि प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की नीति पर भी अमल कर सकता है।
यह उन परिस्थितियों में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जब सीमा पार से आतंकी गतिविधियाँ और ड्रोन के जरिए हथियार व नशीले पदार्थ भेजने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। यह संदेश पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के लिए एक चेतावनी है कि अगर उन्होंने उकसावे की कार्रवाई की, तो भारत जवाब देने में एक पल भी नहीं गंवाएगा।
बदलता हुआ भारत
आज का भारत 90 के दशक वाला भारत नहीं है। यह एक ऐसा भारत है जो तकनीक, रणनीति, और साहस तीनों में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके बाद सेना अधिकारियों के बयान इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्री-एम्प्टिव और निर्णायक रणनीति अपनाने को तैयार है।
भारत की जनता अब अपने सशस्त्र बलों पर पहले से भी ज़्यादा भरोसा कर सकती है, क्योंकि वे न केवल सीमा की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि देश के भीतर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी निर्णायक कदम उठा रहे हैं।
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