India’s air pollution: स्विस संगठन IQAir द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश बन गया है, जहां पीएम2.5 का औसत स्तर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत के छह शहरों को दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है, जिसमें मेघालय का बर्नीहाट शीर्ष स्थान पर है।
भारत दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित देश है।
– ये बात स्विस एयर क्वालिटी टेक कंपनी IQAIR द्वारा जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2024 में सामने आई है।
इस रिपोर्ट पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव (संचार) श्री @Jairam_Ramesh का वक्तव्य: pic.twitter.com/zHWujaCyyj
— Congress (@INCIndia) March 16, 2025
वायु प्रदूषण के इस गंभीर संकट पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पिछले दस वर्षों में पर्यावरण कानूनों में किए गए ‘जनविरोधी’ संशोधनों को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि इन संशोधनों ने पर्यावरण संरक्षण को कमजोर किया है, जिससे वायु प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ी है।
वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव
वायु प्रदूषण से भारत में जीवन प्रत्याशा अनुमानित रूप से 5.2 वर्ष कम हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया में प्रति वर्ष प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत होती है। पीएम2.5 कण, जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर और श्वसन संक्रमण जैसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं।
प्रदूषण के स्रोत
भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और पराली जलाना शामिल हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में वाहनों का धुआं प्रमुख प्रदूषक है, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है।
सरकारी नीतियों की आलोचना
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर वायु प्रदूषण से निपटने में ‘खराब नीति-निर्माण’ का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि पर्यावरण कानूनों में किए गए संशोधनों ने प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को कमजोर किया है। कांग्रेस ने आगामी केंद्रीय बजट में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों और केंद्र को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की है।
आवश्यक कदम
वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
कठोर पर्यावरण कानूनों का कार्यान्वयन: पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त कानूनों को लागू किया जाना चाहिए, जिससे प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और गतिविधियों पर नियंत्रण हो सके।
स्वच्छ ऊर्जा का प्रोत्साहन: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
परिवहन क्षेत्र में सुधार: सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
कृषि प्रथाओं में बदलाव: किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान किए जाने चाहिए, जिससे वायु प्रदूषण कम हो सके।
जनजागरूकता अभियान: लोगों को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जिससे वे प्रदूषण कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
वायु प्रदूषण भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, उद्योग और समाज के सभी वर्गों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। पर्यावरण कानूनों को सख्ती से लागू करना, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना और जनजागरूकता फैलाना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।