Indigo

Indigo: भारत की अग्रणी बजट एयरलाइन, इंडिगो (IndiGo), ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) लगभग ₹2 लाख करोड़ यानी $23.3 बिलियन तक पहुंच गया है। इस उपलब्धि के साथ ही इंडिगो दुनिया की सबसे मूल्यवान एयरलाइन बन गई है, और उसने डेल्टा एयरलाइंस व रायनएयर जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया।

शेयर बाजार में इंडिगो की शानदार उड़ान

इंडिगो के शेयरों ने इस साल अब तक 13% की बढ़त दर्ज की है। यह तब हुआ है जब बाकी भारतीय बाजार में मंदी का माहौल रहा है। निफ्टी इंडेक्स इस साल लगभग 6% नीचे है, लेकिन इंडिगो ने निवेशकों को बेहतर रिटर्न देकर बाज़ार में अपनी मजबूती दिखाई है।

मजबूत बाजार हिस्सेदारी और वित्तीय स्थिति

इंडिगो की भारत के घरेलू विमानन क्षेत्र में हिस्सेदारी लगभग 62% है, जो इसे देश की सबसे बड़ी एयरलाइन बनाता है। हालाँकि कंपनी ने कोविड-19 महामारी और अन्य वैश्विक चुनौतियों के बीच कई वित्तीय झटके झेले — जैसे कि Q2FY25 में ₹987 करोड़ का शुद्ध घाटा — लेकिन फिर भी यह एयरलाइन अपने संचालन और रणनीति के बल पर निवेशकों का विश्वास जीतने में कामयाब रही।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की योजना

इंडिगो अब केवल घरेलू मार्केट तक सीमित नहीं रहना चाहती। कंपनी की योजना है कि वह FY30 तक अपनी कुल सीट किलोमीटर क्षमता का 40% अंतरराष्ट्रीय मार्गों से अर्जित करे। FY25 में यह आंकड़ा अनुमानित तौर पर 28% था। इसके अलावा, कंपनी अपने बेड़े में करीब 50 नए विमानों को जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे इसका कुल एयरक्राफ्ट काउंट और भी सशक्त हो जाएगा।

निवेशकों का भरोसा और आगे की संभावनाएं

कई विश्लेषकों का मानना है कि इंडिगो आने वाले समय में और भी मजबूती से उभरेगी। किराए में स्थिरता, कच्चे तेल की कीमतों में नियंत्रण और बढ़ता यात्री भार (Passenger Load Factor) इसकी प्रमुख ताकतें बनेंगी। वित्तीय विशेषज्ञों का अनुमान है कि FY25 की चौथी तिमाही में कंपनी ₹2,300 करोड़ का मुनाफा दर्ज कर सकती है और पूरे साल का लाभ ₹8,600 करोड़ तक पहुंच सकता है।

इंडिगो की यह उपलब्धि न केवल कंपनी के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। इसने यह साबित किया है कि भारतीय कंपनियां भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं और उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। यदि इंडिगो इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही, तो यह आने वाले वर्षों में वैश्विक विमानन क्षेत्र की दिशा बदल सकती है।

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