Israel-Iran conflict

Israel-Iran conflict: नष्ट होता परमाणु ढांचा, इज़राइली हमलों ने ईरान की सैन्य क्षमता को दी गहरी चोट

Israel-Iran conflict: 13 जून 2025 को इज़राइल ने एक अभूतपूर्व वायु अभियान चलाकर ईरान के परमाणु और मिसाइल से जुड़े कई रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया। यह हमला ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के नाम से जाना गया, जिसकी योजना महीनों से बन रही थी। ताजा सैटेलाइट इमेजरी के मुताबिक, इस हमले में ईरान की सैन्य और परमाणु संरचनाओं को गहरी क्षति पहुंची है। यह हमला न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पश्चिम एशिया के राजनीतिक संतुलन को भी हिला देने वाला है।

सबसे ज्यादा प्रभावित ठिकाने

इन हमलों में जिन ठिकानों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, उनमें शामिल हैं:

इस्फहान परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र — ईरान के सबसे महत्वपूर्ण परमाणु अनुसंधान केंद्रों में से एक पर सीधा हमला हुआ। इस परिसर में कई इमारतें आंशिक या पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि जहां पहले आधुनिक प्रयोगशालाएं थीं, अब वहां केवल धूल और मलबा बचा है।

नतांज़ यूरेनियम संवर्धन केंद्र — ईरान के इस भूमिगत परमाणु संयंत्र को हमेशा से पश्चिमी देशों द्वारा उच्च खतरे के रूप में देखा जाता रहा है। हालिया हमलों में यहां की पावर सबस्टेशन को गहरा नुकसान पहुंचा है, जिससे करीब 15,000 सेंट्रीफ्यूज के काम करने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

शिराज़ मिसाइल उत्पादन संयंत्र — शिराज़ में स्थित यह संयंत्र ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण की रीढ़ माना जाता है। यहां पर हमला कर के मिसाइल असेंबली यूनिट्स और परीक्षण उपकरणों को नष्ट कर दिया गया है। आग और धुएं के बादलों से परिसर ढका हुआ देखा गया।

तब्रिज उत्तर मिसाइल बेस — यह बेस सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यहां मिसाइल भंडारण इकाइयों, ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स और रडार सिस्टम को क्षतिग्रस्त किया गया। कुछ सैटेलाइट तस्वीरों में बंकरों की छतें ढहती हुई भी नजर आईं।

केरमनशाह रॉकेट प्रोडक्शन साइट — पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित इस संयंत्र को निशाना बनाकर इज़राइल ने ईरान की गहराई वाली सुरक्षा प्रणालियों को चुनौती दी है। विस्फोटों के बाद आसपास के क्षेत्रों में मलबा और राख फैली हुई देखी गई।

पर्चिन और फोर्डो गहराई वाले ठिकाने — हालांकि इन दोनों स्थानों पर अधिक क्षति की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इज़राइल द्वारा इन्हें हमले की प्राथमिक सूची में शामिल करना ही इनके महत्व को दर्शाता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस घटनाक्रम से गंभीर रूप से चिंतित है। IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने इस हमले के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि नतांज़ प्लांट में संभावित क्षति ‘गंभीर’ हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि अमेरिका ने इज़राइल के सुरक्षा अधिकारों को समर्थन देते हुए ईरान पर पारदर्शिता की आवश्यकता जताई है।

दूसरी ओर रूस और चीन ने इज़राइल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है, जबकि तुर्की और कतर जैसे देशों ने बातचीत की राह खोलने की मांग की है। G7 शिखर सम्मेलन में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा, जहां यूरोपीय देशों ने इस क्षेत्र में और अधिक सैन्य टकराव से बचने की चेतावनी दी।

ईरान की प्रतिक्रिया

ईरान ने इन हमलों को अपनी संप्रभुता पर हमला बताते हुए कहा है कि इज़राइल की यह हरकत एक ‘युद्ध घोषणा’ के समान है। तेहरान सरकार ने बताया कि वह जल्द ही जवाबी कार्रवाई करेगी। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान किस रणनीति के तहत जवाब देगा — प्रत्यक्ष सैन्य हमले, साइबर ऑपरेशन या किसी सहयोगी गुट के जरिए अप्रत्यक्ष टकराव।

ईरानी जनता में भी भारी गुस्सा देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग सरकार से सख्त जवाब की मांग कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में विद्युत संकट और संचार बाधाएं देखी गई हैं, जिससे आम जनजीवन पर असर पड़ा है।

रणनीतिक विश्लेषण

इज़राइल ने इस ऑपरेशन में अत्याधुनिक तकनीक और योजनाबद्धता का परिचय दिया। लगभग 200 से अधिक लड़ाकू विमानों और 300 से अधिक गाइडेड बमों का उपयोग किया गया। मॉसाद के सहयोग से ऑपरेशन से पहले ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को बाधित कर दिया गया था, जिससे इज़राइली वायुसेना को खुला मैदान मिला।

इस हमले से यह स्पष्ट हो गया है कि इज़राइल अब ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को सहन करने के लिए तैयार नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला महज एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं बल्कि एक शक्तिशाली कूटनीतिक संदेश भी है।

भविष्य की संभावनाएं

इन घटनाओं ने मध्य पूर्व को एक नए भू-राजनीतिक संकट में डाल दिया है। जहां एक ओर वैश्विक शक्तियां युद्ध से बचने की अपील कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। अगर ईरान ने प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया दी, तो यह संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिसका असर पूरे विश्व पर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आगे की स्थिति अब तीन कारकों पर निर्भर करेगी — ईरान की प्रतिक्रिया, इज़राइल की दूसरी योजना और वैश्विक मध्यस्थता प्रयास। वर्तमान में यह कहा जा सकता है कि इस घटना ने एक नए, अस्थिर युग की शुरुआत कर दी है।

इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए हमले केवल बम और मिसाइलों तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने ईरान की परमाणु और सैन्य क्षमता के मूल ढांचे को निशाना बनाया है। यह कदम पश्चिम एशिया की भू-राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। इस पूरे घटनाक्रम की गंभीरता, विनाशकारी असर और संभावित परिणाम आने वाले समय में दुनिया को लगातार प्रभावित करेंगे।

इस धधकते घटनाक्रम पर आगे की अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए – Janavichar

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