Israel-Iran war: ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। पश्चिम एशिया में उपजे इस संकट की आंच भारत तक भी पहुंच गई है, विशेषकर उन भारतीय छात्रों तक जो मेडिकल और तकनीकी पढ़ाई के लिए ईरान गए थे। सैकड़ों भारतीय छात्र अब युद्ध के साए में हैं — कहीं बंकरों में छिपे, कहीं बेसमेंट में इंटरनेट के बिना, और कहीं राहत की उम्मीद लिए हुए।
India begins evacuation of students from war-hit Iran
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) June 17, 2025
First batch of 110 Indian students now crossing into Armenia. Most from Jammu & Kashmir
Evacuation via land route to Armenian border, followed by airlift from Armenia#IranIsrael #IsraeliranWar https://t.co/HJIrCPXpf2 pic.twitter.com/tQV1cAVAZu
इस बीच राहत की एक किरण उस समय देखने को मिली जब भारत सरकार के प्रयासों से 110 से अधिक छात्रों को आर्मेनिया के ज़रिए सुरक्षित बाहर निकाला गया। लेकिन यह केवल शुरुआत है। सैकड़ों छात्र अब भी ईरान में फंसे हैं और उनकी सुरक्षित वापसी की कोशिशें जारी हैं।
संघर्ष की शुरुआत और बिगड़ती स्थिति
ईरान और इस्राइल के बीच तनाव वर्षों पुराना है, लेकिन हाल के हमलों ने इसे पूरी तरह युद्ध जैसी स्थिति में पहुंचा दिया है। तेहरान, कर्हान, उरमिया, और क़ोम जैसे शहरों में धमाकों और हवाई हमलों की खबरें लगातार आ रही हैं। यही वो शहर हैं जहाँ भारत के करीब 800 से 1,000 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
भारतीय छात्रों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि उन्हें न घर वालों से ठीक से बात करने का मौका मिल रहा है, न ही उन्हें इस बात की जानकारी मिल रही है कि उन्हें कब और कैसे निकाला जाएगा। इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहद कमजोर है और मोबाइल नेटवर्क भी कई बार बंद हो जाता है।
भयभीत छात्र, कांपते परिजन
तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में पढ़ रही मेहरिन ज़फ़्फर ने बताया कि हर बार जब सायरन बजता है, तो ऐसा लगता है जैसे सब कुछ खत्म होने वाला है। वह और उनके साथी बंकरों में छिपे रहते हैं, बिजली अक्सर गुल हो जाती है और इंटरनेट भी जवाब दे देता है। उनके माता-पिता भारत में लगातार चिंता में हैं, क्योंकि कई बार घंटों तक कोई संपर्क नहीं हो पाता।
दूसरे छात्र, हुज़ैफ़ मलिक, जो उरमिया में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, बताते हैं कि उन्हें बसों से आर्मेनिया के लिए भेजा गया, जहाँ से भारत वापसी की तैयारी हो रही है। लेकिन सबको यह सुविधा नहीं मिल पाई है। बहुत से छात्र अभी भी युद्धग्रस्त इलाकों में फंसे हैं।
भारत सरकार की रणनीति और सीमाएं
भारत सरकार ने ईरान में फंसे छात्रों के लिए विशेष राहत अभियान शुरू किया है। विदेश मंत्रालय, भारत का दूतावास तेहरान, और अन्य एजेंसियां मिलकर एक रणनीति के तहत छात्रों को निकालने का प्रयास कर रही हैं।
हालांकि इसमें कई मुश्किलें सामने आ रही हैं:
- ईरान का एयरस्पेस युद्ध की वजह से बंद कर दिया गया है, जिससे हवाई निकासी (एयरलिफ्ट) असंभव हो गई है।
- केवल जमीनी रास्ते से ही छात्रों को बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन इस रास्ते में भी सुरक्षा को लेकर जोखिम हैं।
- सीमावर्ती देशों में प्रवेश की अनुमति और वहां से उड़ान की व्यवस्था करना भी एक जटिल प्रक्रिया है।
फिलहाल, आर्मेनिया के ज़रिए छात्रों को निकालना ही एकमात्र संभव और अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प बन पाया है।
राहत की पहली किरण: 110 छात्र सुरक्षित
भारत सरकार के प्रयासों से 110 छात्रों को सफलतापूर्वक ईरान से निकालकर आर्मेनिया पहुँचाया गया है। इन छात्रों को पहले तेहरान से बसों द्वारा क़ोम जैसे सुरक्षित स्थानों तक लाया गया, जहाँ से सीमा पार की गई। ये सभी छात्र अब आर्मेनिया की राजधानी येरेवन में हैं और उन्हें जल्द ही भारत लाया जाएगा।
इस राहत अभियान की यह पहली कामयाबी है, लेकिन अभी भी कई छात्रों को निकालना बाकी है। अनुमान है कि अभी भी 500 से 600 छात्र ईरान में फंसे हुए हैं।
चुनौतियों की लंबी सूची
- हवाई मार्ग अवरुद्ध: ईरानी एयरस्पेस बंद होने के कारण विमानों का संचालन नहीं हो रहा, जिससे तत्काल निकासी में बाधा आ रही है।
- कम्युनिकेशन ब्रेकडाउन: इंटरनेट और फोन नेटवर्क कमजोर होने से छात्रों और उनके परिवारों के बीच संवाद टूट रहा है।
- मनोवैज्ञानिक दबाव: लगातार बमबारी, सायरन और धमाकों के बीच छात्र मानसिक रूप से टूट रहे हैं। उन्हें अब पढ़ाई की नहीं, जान बचाने की चिंता है।
- भविष्य अनिश्चित: जो छात्र सुरक्षित लौटेंगे, उनके सामने पढ़ाई का भविष्य अधर में है। मेडिकल डिग्री का भविष्य, आर्थिक नुकसान, और शिक्षा की वैधता जैसे सवाल सामने आ रहे हैं।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
भारत सरकार ने अब तक जिस त्वरित गति से प्रतिक्रिया दी है, वह सराहनीय है। दूतावास की टीम लगातार फील्ड में काम कर रही है। छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं ताकि वे सहायता प्राप्त कर सकें।
लेकिन यह भी सच है कि यह एक सतत प्रक्रिया है और इस संकट से निपटने के लिए हमें धैर्य, जागरूकता और समन्वय की जरूरत है। परिवारों को भी संयम बरतना होगा और छात्रों को सुरक्षा निर्देशों का पूरी तरह पालन करना होगा।
जबरदस्त संकट में उम्मीद की लौ
यह संघर्ष हमें याद दिलाता है कि युद्ध सिर्फ हथियारों का नहीं, मानव जीवन, शिक्षा और भविष्य का भी नुकसान करता है। इस कठिन घड़ी में भारत सरकार का प्रयास, छात्रों का धैर्य और परिजनों की प्रार्थना — तीनों एक साथ काम कर रहे हैं।
110 छात्रों की सुरक्षित वापसी इस बात का संकेत है कि यदि सब साथ आएं, तो सबसे कठिन परिस्थितियों से भी रास्ता निकाला जा सकता है। अब बस इंतज़ार है कि बाकी छात्रों को भी जल्द सुरक्षित निकाला जाए और वे अपने घर, अपने देश, भारत लौट सकें।
अभी राहत अभियान जारी है — भारत अपने बच्चों को वापस लाएगा।
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