Jagdeep Dhankhar resigns as VP of India: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण “स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं” बताया और कहा कि यह निर्णय उन्होंने चिकित्सा सलाह के अनुसार लिया है।
#BreakingNews
— Bureaucrats India (@BureaucratsInd) July 21, 2025
Vice President Jagdeep Dhankhar resigned from his post citing medical advice and the need to prioritize his health.@rashtrapatibhvn @VPIndia pic.twitter.com/SNATKGOBLe
धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को संबोधित एक पत्र में लिखा, “स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने हेतु, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देता हूं, संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अंतर्गत।”
उनका यह इस्तीफा राज्यसभा सचिवालय को भी भेजा गया और इसे तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया।
इस्तीफा ऐसे समय पर आया जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ था
धनखड़ का यह फैसला उस समय आया जब संसद का मानसून सत्र आरंभ हुआ। उन्होंने सत्र के पहले दिन राज्यसभा की अध्यक्षता भी की थी। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कार्यवाही की शुरुआत सामान्य रूप से की, लेकिन कुछ समय बाद वे अचानक अनुपस्थित हो गए। शाम तक उनका इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया गया था।
इस घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा को जन्म दिया है क्योंकि अब उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है, और भारत के संवैधानिक ढांचे के अनुसार अगले छह महीनों में नया चुनाव कराना अनिवार्य होगा।
स्वास्थ्य कारणों की पृष्ठभूमि
धनखड़ (74 वर्ष) पिछले कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। मार्च 2025 में उन्हें नई दिल्ली स्थित AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती कराया गया था। वहां हृदय से जुड़ी एक प्रक्रिया की गई थी।
इसके अतिरिक्त, जून 2025 में उत्तराखंड के एक कार्यक्रम में वे मंच पर बेहोश हो गए थे। हालांकि बाद में उनके कार्यालय द्वारा बताया गया कि यह घटना थकावट के कारण हुई थी, लेकिन चिकित्सा टीम ने उन्हें लगातार आराम करने और यात्रा कम करने की सलाह दी थी।
सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवा रहे थे और उन्हें विशेष देखरेख की आवश्यकता थी।
संवैधानिक प्रक्रिया क्या कहती है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(क) कहता है कि उपराष्ट्रपति अपने पद से त्यागपत्र राष्ट्रपति को लिखित रूप में देकर इस्तीफा दे सकते हैं।
धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। उनका त्यागपत्र दिए जाने के बाद अब चुनाव आयोग को अगले छह महीनों में नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो न केवल राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी के रूप में कार्य करता है, बल्कि राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्यभार संभालता है।
जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा की अध्यक्षता उपसभापति (डिप्टी चेयरमैन) करेंगे।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और संवैधानिक सफर
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक जीवन तीन दशकों से अधिक लंबा रहा है। वे राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक किसान परिवार से आते हैं। पेशे से अधिवक्ता रहे धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत की।
1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा सदस्य बने। 1990 में वे केंद्रीय मंत्री (कानून और न्याय राज्य मंत्री) बने। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और राज्यसभा सदस्य तथा राजस्थान विधानसभा के विधायक भी रहे।
2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उस दौरान उन्होंने राज्य सरकार के साथ कई मुद्दों पर टकराव के कारण राष्ट्रीय चर्चा बटोरी।
2022 में एनडीए ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया और उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह पद संभाला। उन्होंने अगस्त 2022 में शपथ ली थी।
उनके कार्यकाल की प्रमुख विशेषताएं
उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही को अनुशासन और प्रक्रिया के अनुरूप चलाने पर विशेष ध्यान दिया।
उनकी अध्यक्षता में संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए। उन्होंने संसद की गरिमा बनाए रखने और नियमों के सख्त पालन की पैरवी की।
विपक्षी दलों के साथ उनकी कई बार नीतिगत टकराव की स्थितियां बनीं, लेकिन वे राज्यसभा की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करने में सफल रहे।
वे भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को भी कई बार संसद में रेखांकित करते रहे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए उनके योगदान की सराहना की और उन्हें “संतुलित नेतृत्वकर्ता” कहा। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने लोकतंत्र की मर्यादाओं को बनाए रखते हुए अपने पद का पालन किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी उन्हें धन्यवाद देते हुए उनके साथ कार्य संबंधों को सकारात्मक बताया।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस इस्तीफे को “अप्रत्याशित” बताया और कहा कि इसके पीछे के कारणों पर और स्पष्टता आवश्यक है। उन्होंने कहा, “यह केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं लगता। यह मामला और अधिक गहराई से जुड़ा हो सकता है।”
वहीं, कुछ वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने उनके इस्तीफे को निजी निर्णय बताते हुए उनके स्वस्थ जीवन की कामना की।
आगे की प्रक्रिया
अब चुनाव आयोग को अगले छह महीनों में नया उपराष्ट्रपति चुनना होगा। चुनाव प्रक्रिया लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य संयुक्त रूप से करते हैं। यह चुनाव गुप्त मतपत्र द्वारा और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के अनुसार किया जाएगा।
फिलहाल, उपराष्ट्रपति का पद औपचारिक रूप से रिक्त है। उम्मीद की जा रही है कि सत्ताधारी गठबंधन जल्द ही नए उम्मीदवार का चयन करेगा। विपक्ष भी अपना प्रत्याशी खड़ा कर सकता है।
संविधानिक परंपरा के अनुसार, इस चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने के बाद नामांकन, जांच, नाम वापसी और मतदान की प्रक्रिया कुछ हफ्तों में पूरी होती है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारत की संवैधानिक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इसके समय और तरीके को देखते हुए राजनीतिक हलकों में अनेक चर्चाएं भी हैं।
अब सबकी निगाहें इस पर होंगी कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, और क्या इससे संसद की कार्यवाही, केंद्र-विपक्ष संबंधों या सत्ता संतुलन पर कोई प्रभाव पड़ेगा।
for more news keep reading Janavichar