October 11, 2025
LA protests

LA protests: अराजकता के साए में लोकतंत्र की पुकार, गवर्नर न्यूजॉम की ट्रम्प प्रशासन पर संवैधानिक चुनौती

LA protests: कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ नेशनल गार्ड की लॉस एंजेलिस में तैनाती को लेकर कोर्ट का रुख करेंगे। उनका कहना है कि यह तैनाती “अवैध, असंवैधानिक और राज्य की संप्रभुता का सीधा उल्लंघन” है। इस घोषणा के बाद देशभर में बहस छिड़ गई है कि क्या यह फैसला ट्रम्प प्रशासन की शक्ति के विस्तार का उदाहरण है या फिर यह राज्य के अधिकारों की रक्षा की एक कानूनी जंग?

यह घटना उस समय सामने आई जब लॉस एंजेलिस में आइस (ICE) की आप्रवासन कार्रवाई को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनकारी संघीय नीतियों को “नस्लीय भेदभाव और आप्रवासी विरोधी” मान रहे हैं। इन प्रदर्शनों ने जब हिंसक रूप लिया, तब ट्रम्प प्रशासन ने वहां पर नेशनल गार्ड की तैनाती कर दी, जिसे गवर्नर न्यूजॉम ने “असहमति का दमन” बताया है।

घटनाक्रम: विरोध से टकराव तक

लॉस एंजेलिस में कई दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों की जड़ें ICE की ताजा छापेमारी और आप्रवासी नीतियों में छिपी हैं। विशेष रूप से लैटिनो समुदाय इन कार्रवाइयों से प्रभावित हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक अधिकार संगठन इन कार्रवाइयों को अन्यायपूर्ण और अमानवीय बता रहे हैं।

शुरुआत में विरोध शांतिपूर्ण रहा, लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई और पुलिस बल की कार्रवाई कड़ी होती गई, वैसे-वैसे हालात बिगड़ने लगे। प्रदर्शनकारियों ने शहर के मुख्य चौराहों पर बैठकर विरोध जताया, सरकारी भवनों के बाहर नारेबाज़ी की और कुछ मामलों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान भी पहुँचाया। पुलिस ने सख्ती से जवाब दिया, और हालात पर नियंत्रण पाने के लिए ट्रम्प प्रशासन ने लॉस एंजेलिस में 300 से अधिक नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती कर दी।

ट्रम्प प्रशासन का पक्ष

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लॉस एंजेलिस में बिगड़ती स्थिति को “संविधान-विरोधी अराजकता” कहा और कहा कि राज्य सरकार वहां के हालात को संभालने में नाकाम रही है। व्हाइट हाउस की ओर से बयान में कहा गया कि नेशनल गार्ड की तैनाती का उद्देश्य शांति और व्यवस्था बहाल करना है और यह “संघीय सरकार की जिम्मेदारी” है कि वह ऐसे हालात में हस्तक्षेप करे।

हालाँकि, इस तैनाती से पहले गवर्नर से कोई परामर्श नहीं किया गया, जो कि अमेरिका के संघीय ढांचे में एक संवेदनशील बिंदु है। यही कारण है कि न्यूजॉम ने इसे “राज्य की सत्ता के खिलाफ सीधा हमला” कहा है।

गवर्नर न्यूजॉम का जवाब

गवर्नर गेविन न्यूजॉम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“हम लॉस एंजेलिस को युद्धक्षेत्र नहीं बनने देंगे। हमारे पास राज्य की पुलिस है, हमारी अपनी प्रशासनिक व्यवस्था है, और हम स्थानीय तरीकों से स्थिति संभाल रहे हैं। संघीय हस्तक्षेप न केवल अनावश्यक है, बल्कि असंवैधानिक भी है।”

न्यूजॉम का यह बयान सीधे तौर पर ट्रम्प की नीतियों को चुनौती देता है और यह स्पष्ट करता है कि वे राज्य की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेंगे।

कानूनी चुनौती का आधार

कैलिफोर्निया सरकार का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन ने संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन किया है, जो राज्यों को स्वशासन का अधिकार देता है। इसके अलावा, Title 10 of U.S. Code के तहत जब तक राज्य में विदेशी आक्रमण या विद्रोह जैसी आपात स्थिति न हो, तब तक संघीय बलों की तैनाती राज्य की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती।

गवर्नर कार्यालय के वकीलों ने यह भी तर्क दिया है कि लॉस एंजेलिस की स्थिति “न्याय और कानून के भीतर” है और वहां की स्थिति इतनी खराब नहीं थी कि उसे संघीय आपातकाल घोषित किया जाए।

अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने प्रेस से बातचीत में कहा कि यह सिर्फ एक राज्य की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मामला “संघीय बनाम राज्य अधिकारों की ऐतिहासिक लड़ाई” है।

स्थानीय प्रशासन और LAPD की स्थिति

लॉस एंजेलिस की मेयर कारेन बैस ने भी ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की और कहा कि शहर के अंदर हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन फेडरल हस्तक्षेप स्थिति को और खराब कर सकता है। LAPD ने कहा कि हालात जरूर तनावपूर्ण थे, लेकिन हमने प्रदर्शनकारियों के साथ संयम बरता और उन्हें शांतिपूर्वक विरोध का अधिकार दिया।

हालाँकि, कुछ पुलिस अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्थिति “संवेदनशील और थकाऊ” थी। हर दिन हजारों की भीड़, लगातार रातों में गश्त, और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही झूठी खबरें पुलिस बल को दबाव में ला रही थीं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर अमेरिका में संघीय और राज्य सरकारों के अधिकारों को लेकर बहस छेड़ दी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प प्रशासन राज्य सरकारों को कमजोर करने की दिशा में काम कर रहा है, जबकि समर्थकों का कहना है कि ट्रम्प ने “देश की सुरक्षा को सर्वोपरि” रखते हुए त्वरित निर्णय लिया।

सामाजिक रूप से, यह स्थिति अमेरिका के आप्रवासी समुदाय के भीतर भय और असुरक्षा की भावना को और बढ़ा रही है। खासकर लैटिन अमेरिकी मूल के लोग इस बात से नाराज़ हैं कि उन्हें “आतंकी या अपराधी” समझा जा रहा है।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण

संघीय हस्तक्षेप की यह स्थिति इतिहास में कोई पहली बार नहीं आई है। वर्ष 1965 में राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन ने अलबामा में मतदान अधिकार आंदोलन के दौरान नेशनल गार्ड को तैनात किया था, लेकिन तब भी राज्य की सहमति ली गई थी। आज की स्थिति में जब बिना परामर्श के संघीय बल भेजे जा रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह अमेरिका के संघीय ढांचे के विपरीत है?

निष्कर्ष: क्या यह लोकतंत्र का असली इम्तिहान है?

कैलिफोर्निया बनाम ट्रम्प प्रशासन की यह लड़ाई सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के संघीय ढांचे, व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं और लोकतंत्र के उस बुनियादी विचार की परीक्षा है, जिस पर यह राष्ट्र खड़ा है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है। क्या वह ट्रम्प प्रशासन को कानून व्यवस्था की बहाली के नाम पर फेडरल ताकत के इस्तेमाल की इजाजत देगा, या फिर गवर्नर न्यूजॉम की इस दलील को स्वीकार करेगा कि राज्य की संप्रभुता सर्वोपरि है?

जवाब चाहे जो भी हो, यह स्पष्ट है कि यह मामला आने वाले वर्षों में संघीय बनाम राज्य अधिकारों के बीच की खींचतान की दिशा तय कर सकता है।


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Kiran Mankar

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