Manipur President’s Rule: मणिपुर, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में से एक है, पिछले कुछ समय से जातीय संघर्ष और हिंसा की आग में झुलस रहा है। इस संकट के बीच राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने एक बड़ा कदम उठाते हुए उग्रवादियों और हिंसा में शामिल लोगों को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर एक सप्ताह के भीतर लूटे गए और गैरकानूनी हथियार सरेंडर नहीं किए गए, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अल्टीमेटम वास्तव में हिंसा को रोक पाएगा और राज्य में सामान्य स्थिति लौट आएगी?
मणिपुर में हालात कैसे पहुंचे इस मोड़ पर?
मणिपुर में हाल के वर्षों में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय तनाव बढ़ता जा रहा था। यह तनाव पिछले दो साल से लगातार बढ़ रहा था और हिंसक झड़पों में बदल गया। इस हिंसा ने राज्य के सामाजिक ताने-बाने को बुरी तरह प्रभावित किया है। 9 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद से ही मणिपुर में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने हाल ही में एक बयान जारी करके सभी समुदायों से अपील की है कि वे लूटे गए और गैरकानूनी हथियारों को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर कर दें। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस अवधि के भीतर हथियार लौटाता है, तो उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, अगर कोई इस अल्टीमेटम को नजरअंदाज करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या है राज्यपाल के अल्टीमेटम का मकसद?
राज्यपाल का यह कदम मणिपुर में शांति और व्यवस्था बहाल करने की दिशा में एक प्रयास है। पिछले कुछ महीनों में राज्य में हथियारों की लूट और गैरकानूनी ढंग से हथियार रखने की घटनाएं बढ़ी हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल हिंसक झड़पों और आतंकी गतिविधियों में किया जा रहा है। राज्यपाल का मानना है कि अगर इन हथियारों को वापस ले लिया जाए, तो हिंसा पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
इसके अलावा, यह कदम उग्रवादियों और हिंसा में शामिल लोगों के लिए एक तरह से सुधार का मौका भी है। राज्यपाल ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति इस अवधि के भीतर हथियार लौटाता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई से बचाया जाएगा। यह नीति उन लोगों को भी प्रोत्साहित कर सकती है जो हिंसा में शामिल होने के बाद पछतावा महसूस कर रहे हैं।
क्या होगा अगर अल्टीमेटम नहीं माना गया?
राज्यपाल ने चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यक्ति 7 दिन की अवधि के बाद भी गैरकानूनी हथियार रखता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसका मतलब है कि सुरक्षा बलों को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की छूट मिल जाएगी जो इस अल्टीमेटम को नजरअंदाज करते हैं। इससे हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
हालांकि, यहां एक बड़ा सवाल यह है कि क्या सुरक्षा बल इतने बड़े पैमाने पर हथियारों को जब्त कर पाएंगे? मणिपुर में उग्रवादी समूहों का एक लंबा इतिहास रहा है और वे अक्सर सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शामिल होते हैं। ऐसे में, यह संभव है कि कुछ उग्रवादी समूह इस अल्टीमेटम को नजरअंदाज कर सकते हैं और हिंसा जारी रख सकते हैं।
राज्य में शांति बहाल करने के लिए क्या और कदम उठाए जा सकते हैं?
राज्यपाल का यह अल्टीमेटम निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह अकेले ही मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता। राज्य में शांति और स्थिरता लाने के लिए कई अन्य कदम भी उठाए जाने की जरूरत है। इनमें शामिल हैं:
- समुदायों के बीच संवाद बढ़ाना: मणिपुर में जातीय संघर्ष को खत्म करने के लिए समुदायों के बीच संवाद बढ़ाना जरूरी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी समुदायों की आवाज सुनी जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: मणिपुर में बेरोजगारी और आर्थिक पिछड़ेपन ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया है। राज्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए ताकि युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।
- सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ाना: राज्य में सुरक्षा बलों की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है ताकि वे उग्रवादियों और हिंसक तत्वों के खिलाफ प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकें।
- राजनीतिक स्थिरता: मणिपुर में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए जल्द से जल्द नए चुनाव कराए जाने चाहिए। इससे राज्य में एक स्थिर सरकार का गठन हो सकेगा जो समस्याओं का समाधान कर सके।
मणिपुर में राज्यपाल का अल्टीमेटम निश्चित रूप से एक साहसिक कदम है, लेकिन यह अकेले ही राज्य में शांति बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। राज्य में शांति और स्थिरता लाने के लिए सरकार को कई अन्य कदम भी उठाने होंगे। अगर सभी पक्ष मिलकर काम करें, तो मणिपुर एक बार फिर से शांति और विकास की राह पर चल सकता है।