Microsoft exits Pakistan: तकनीक की दुनिया का दिग्गज नाम Microsoft अब आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान से बाहर निकल चुका है। यह वही कंपनी है जिसने जून 2000 में पाकिस्तान में अपने संचालन की शुरुआत की थी, और तब से देश में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में कई पहलें शुरू की थीं। आज जब कंपनी ने देश से लगभग पूरी तरह से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है, तो यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट निर्णय नहीं, बल्कि उस गहरे संकट का प्रतीक बन गया है जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल जूझ रहा है।
Microsoft’s exit from Pakistan after 25 years isn’t just a corporate move — it’s a damning indictment of a system that’s chosen chaos over competence. When a global tech giant walks away, it signals more than just regulatory red tape; it screams of a country trapped in its own… pic.twitter.com/kUemDnUCjD
— Awnish Sharma (@sharma__awnish) July 4, 2025
Microsoft की स्थापना और योगदान
Microsoft ने पाकिस्तान में Jawwad Rehman के नेतृत्व में शुरुआत की थी, जो कंपनी के पहले कंट्री मैनेजर थे। उस दौर में Microsoft ने न केवल अपने बिजनेस क्लाइंट्स के लिए सेवाएं दीं, बल्कि शिक्षा, सरकारी योजनाएं और छोटे व्यापारों के डिजिटलीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कॉर्पोरेट, सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों के बीच Microsoft का नेटवर्क मजबूत होता गया। Windows, Office, Azure जैसी सेवाओं के जरिए देश भर में टेक्नोलॉजी का एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया गया। छात्रों और स्टार्टअप्स के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम, डिजिटल लिटरेसी इनिशिएटिव और ई-गवर्नेंस समाधानों के जरिये कंपनी ने स्थानीय तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा दिया।
लेकिन अब क्यों गया Microsoft?
Microsoft का धीरे-धीरे पाकिस्तान से हटना कई सालों से जारी प्रक्रिया थी। पिछले कुछ वर्षों में उसने अपने स्टाफ को घटाकर मात्र 5 लोगों की टीम तक सीमित कर दिया था। अब यह भी खबर आ रही है कि पूरी ऑपरेशनल टीम को बंद कर दिया गया है और केवल एक लायज़न ऑफिस (संपर्क कार्यालय) रह गया है, जो केवल नाममात्र का प्रतिनिधित्व करता है।
इस फैसले के पीछे कई वजहें सामने आई हैं:
1. आर्थिक अस्थिरता और मुद्रा संकट
पाकिस्तान बीते कुछ सालों से आर्थिक संकट में डूबा हुआ है। डॉलर की किल्लत, बढ़ती महंगाई, और विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट के चलते विदेशी कंपनियों के लिए परिचालन चलाना मुश्किल हो गया था। जब आयात पर नियंत्रण और भारी टैक्स लगाए गए, तब से कई ग्लोबल कंपनियों ने अपने निवेश पर पुनर्विचार शुरू कर दिया।
2. इंटरनेट शटडाउन और टेक्नोलॉजी विरोधी नीतियाँ
पाकिस्तान सरकार की ओर से समय-समय पर इंटरनेट शटडाउन, सोशल मीडिया बैन और डेटा सेंटर नियमों में अस्थिरता के चलते टेक्नोलॉजी कंपनियों को सुरक्षा और स्थिरता की कमी महसूस होने लगी थी। ऐसी स्थिति में कंपनी के लिए ग्राहकों को लगातार सेवाएं देना मुश्किल हो गया।
3. वैश्विक री-स्ट्रक्चरिंग
Microsoft दुनिया भर में अपने बिजनेस मॉडल को री-स्ट्रक्चर कर रहा है। उसने हाल में लगभग 9,000 कर्मचारियों की छंटनी की, जो उसके ग्लोबल वर्कफोर्स का करीब 4% हिस्सा है। कंपनी अब क्लाउड-आधारित और पार्टनर-फोकस्ड मॉडल की ओर बढ़ रही है। इसका सीधा असर उन देशों पर पड़ा है जहां Microsoft की सीधी मौजूदगी कम मूल्य दे रही थी।
‘यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट एग्ज़िट नहीं है’ – Jawwad Rehman
Microsoft पाकिस्तान के पहले प्रमुख Jawwad Rehman ने अपने LinkedIn पोस्ट में इस निकास को केवल एक व्यावसायिक निर्णय न मानते हुए, इसे पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक और निवेश नीतियों पर गंभीर टिप्पणी बताया। उन्होंने लिखा कि यह निकास एक शक्तिशाली संकेत है कि देश किस ओर बढ़ रहा है, और यदि सरकार ने कदम न उठाए, तो अन्य कंपनियाँ भी इसी राह पर चल सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “यह केवल Microsoft की विदाई नहीं, बल्कि उस माहौल की हार है जिसमें एक वैश्विक दिग्गज कंपनी टिक नहीं सकी।”
राजनीतिक हलकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने इस कदम को देश की अर्थव्यवस्था के लिए “चिंताजनक संकेत” बताया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियों का भरोसा यदि पाकिस्तान से उठ गया, तो विदेशी निवेश की संभावनाएं और कमजोर हो जाएंगी।
वहीं, सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि Microsoft की यह विदाई कोई “डरावना संकेत” नहीं, बल्कि उनकी रणनीतिक दिशा परिवर्तन है, जिसमें वे पार्टनर नेटवर्क्स और क्षेत्रीय हब्स के ज़रिए सेवाएं जारी रखेंगे।
तकनीकी उद्योग पर संभावित असर
Microsoft की मौजूदगी पाकिस्तान की तकनीकी संस्कृति और युवा प्रतिभा के लिए प्रेरणास्त्रोत रही है। छात्रों को मुफ्त सॉफ़्टवेयर, Azure क्रेडिट्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसी सुविधाएं मिलती थीं। इसके चले जाने से अब न केवल इन पहलुओं पर असर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक टेक्नोलॉजी के साथ पाकिस्तान की दूरी भी बढ़ सकती है।
यह निकास देश में तकनीकी उद्यमिता की दिशा में एक झटका है और इससे स्टार्टअप्स का आत्मविश्वास भी डगमगा सकता है।
Microsoft का अगला कदम क्या होगा?
Microsoft ने यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान में ग्राहकों की सेवाएं बाधित नहीं होंगी। उसकी क्षेत्रीय टीमें, जैसे मिडल ईस्ट या UAE ऑफिस, अब पाकिस्तान के ग्राहकों को सपोर्ट करेंगी। साथ ही, देश में पार्टनर कंपनियों के माध्यम से Azure, Office 365 और अन्य क्लाउड सेवाएं दी जाती रहेंगी।
हालांकि, यह मॉडल स्थानीय नौकरी और इनोवेशन पर असर डालेगा, क्योंकि अब Microsoft की सीधी भूमिका देश में समाप्त हो चुकी है।
एक चेतावनी, न कि बस एक विदाई
Microsoft का पाकिस्तान से अविश्वसनीय और चौंकाने वाला निकास केवल एक टेक कंपनी की वापसी नहीं, बल्कि एक देश के आर्थिक और तकनीकी भविष्य पर प्रश्नचिन्ह है। जब एक वैश्विक दिग्गज देश छोड़ने का फैसला करता है, तो यह महज़ आंकड़ा नहीं होता – यह विश्वास के टूटने की गूंज होती है।
अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान सरकार समय रहते इस चेतावनी को समझेगी, और क्या वह माहौल बना सकेगी जहां Microsoft जैसे ब्रांड दोबारा लौटने की उम्मीद कर सकें।
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