Modi’s Deals with Trump: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापार वार्ता को जिस तरह संभाला, उसे अमेरिकी मीडिया खासकर CNN ने “मास्टरक्लास” करार दिया। जहां एक तरफ ट्रंप ने वॉशिंगटन दौरे के दौरान भारत पर जवाबी शुल्क (Reciprocal Tariffs) लगाने की घोषणा कर दी थी, वहीं मोदी ने इस मुलाकात को एक अवसर में बदल दिया और व्यापार, ऊर्जा और रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में मजबूत समझौते करवा लिए।
झटका नहीं, जीत में बदला ट्रंप का टैरिफ वार
CNN के वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय संवाददाता विल रिप्ले ने कहा कि मोदी ने ट्रंप की अप्रत्याशित कूटनीति को बखूबी संभाला और यह बैठक दुनिया के अन्य नेताओं के लिए एक सीख हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह एक मास्टरक्लास है… यह दिखाता है कि ट्रंप से बातचीत के दौरान किस तरह का रुख अपनाना चाहिए ताकि सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल किए जा सकें।”
मोदी ने न केवल ट्रंप के बढ़ते टैरिफ दबाव का सामना किया, बल्कि वार्ता को एक सकारात्मक मोड़ देते हुए अमेरिका से भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की प्रतिबद्धता हासिल कर ली। इसके अलावा, उन्होंने भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर लगाए गए शुल्क को कम करने और अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों की वापसी पर सहमति जताई। साथ ही, भारतीय वायुसेना के लिए F-35 लड़ाकू विमानों की खरीद की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।
‘MIGA + MAGA = MEGA’: मोदी की ब्रांडिंग रणनीति ने जीता ट्रंप का दिल
इस बैठक की एक खास बात यह रही कि मोदी ने ट्रंप की लोकप्रिय नारेबाजी की शैली को अपनाते हुए एक शानदार पंचलाइन दी— “MAGA प्लस MIGA बराबर MEGA—समृद्धि के लिए एक मेगा साझेदारी।”
CNN ने बताया कि यह ट्रंप के लिए बेहद आकर्षक ब्रांडिंग थी। रिप्ले ने कहा, “इस तरह के नारों को सुनना ट्रंप को पसंद है। जाहिर तौर पर, इसके लिए एक पीआर टीम ने मेहनत की होगी, लेकिन यह वही भाषा है जो ट्रंप को प्रभावित करती है।”
दोनों देशों के लिए ‘जीत’ वाली वार्ता
ट्रंप ने भारत के ऊँचे आयात शुल्क पर पहले भी नाराजगी जताई थी, खासकर अमेरिकी कारों पर 70% और लक्जरी गाड़ियों पर 125% तक का टैक्स। लेकिन इस बैठक के बाद दोनों नेताओं ने इसे एक सफल वार्ता के रूप में पेश किया। ट्रंप ने कहा कि भारत अब “हमारे तेल और गैस की बड़ी मात्रा में खरीदारी करेगा।” वहीं, मोदी ने व्यापार संबंधों को और सुगम बनाने का भरोसा दिलाया।
मोदी की रणनीतिक सोच और अंतरराष्ट्रीय पहचान
मोदी की कूटनीतिक सफलता सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही। उन्होंने यूरोप, रूस और अन्य एशियाई देशों के साथ भी मजबूत संबंध बनाए, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत हुई। अमेरिका और भारत के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग, टेक्नोलॉजी साझेदारी और ऊर्जा समझौते दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी की रणनीति “कम टकराव, ज्यादा सहयोग” पर आधारित रही है। ट्रंप के साथ हुई इस वार्ता में उन्होंने सिर्फ आर्थिक मुद्दों को नहीं, बल्कि व्यापक वैश्विक दृष्टिकोण को अपनाया, जिससे भारत को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।
वैश्विक नेताओं के लिए सीख
CNN सहित अन्य अमेरिकी मीडिया ने यह भी कहा कि मोदी की यह रणनीति दुनिया के अन्य नेताओं के लिए सीख हो सकती है कि कैसे ट्रंप जैसी अप्रत्याशित शख्सियत के साथ डील करनी चाहिए। एक ओर जहां कई देश ट्रंप के कड़े फैसलों के आगे झुक गए, वहीं मोदी ने उन्हें अपनी शर्तों पर समझौते के लिए राजी कर लिया।
इस तरह, जहां यह बैठक व्यापारिक मतभेदों से भरी हुई थी, वहीं मोदी की कुशल कूटनीति ने इसे एक सकारात्मक नतीजे में बदल दिया। CNN सहित अमेरिकी मीडिया ने इसे मोदी की रणनीतिक जीत बताया और कहा कि दुनिया के अन्य नेता इस वार्ता से बहुत कुछ सीख सकते हैं। यह बैठक इस बात का प्रमाण है कि सही रणनीति और कुशल वार्ता से किसी भी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।