Nagpur Violence

Nagpur Violence: नागपुर हिंसा में कानून व्यवस्था तार-तार, महिला पुलिस से अभद्रता, 500 से अधिक अज्ञात पर केस दर्ज

Nagpur Violence: नागपुर, महाराष्ट्र का शांतिप्रिय शहर, 17 मार्च 2025 की शाम को आगजनी और हिंसा की लपटों में झुलस उठा। पुराने शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में हुई इस हिंसा ने न केवल आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी कठिन परीक्षा में डाल दिया। इस हिंसा की सबसे शर्मनाक कड़ी तब सामने आई जब एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ ड्यूटी के दौरान छेड़छाड़ और अश्लील व्यवहार की खबर आई।

कैसे शुरू हुई हिंसा?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत शाम करीब 4 बजे एक विवादित मुद्दे पर बहस से हुई, जो देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ में तब्दील हो गई। पहले तो नारेबाजी हुई, फिर पथराव और अंततः कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। दुकानों में तोड़फोड़ हुई और लोग दहशत में अपने घरों में बंद हो गए।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया, जिसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के प्रयासों के बीच, कुछ उपद्रवियों ने महिला पुलिसकर्मियों पर न केवल अभद्र टिप्पणियां कीं, बल्कि एक अधिकारी के साथ शारीरिक छेड़छाड़ भी की।

FIR में दर्ज है शर्मनाक वारदात

घटना के बाद दर्ज एफआईआर में इस छेड़छाड़ की पूरी जानकारी दी गई है। एफआईआर के अनुसार, एक आरोपी ने महिला पुलिस अधिकारी के साथ अश्लील हरकतें कीं और कुछ अन्य ने अशोभनीय इशारे करते हुए उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की। यह स्थिति बेहद संवेदनशील थी, क्योंकि उस वक्त पूरा इलाका हिंसा की चपेट में था और पुलिस को भीड़ के साथ-साथ अपनी सुरक्षा की चिंता भी करनी पड़ रही थी।

पुलिस की तत्परता और कार्रवाई

पुलिस ने स्थिति को काबू में लाने के लिए भारी बल का प्रयोग किया। आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद हिंसा पर काबू पाया गया और अब तक 51 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एफआईआर में 51 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 500 से 600 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने प्रेस को बताया, “हम हिंसा में शामिल हर व्यक्ति की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो की जांच कर रहे हैं। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, खासकर उन लोगों को जिन्होंने पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया।”

राजनीतिक हलकों में भी हड़कंप

इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं कि आखिरकार इतनी बड़ी संख्या में भीड़ कैसे एकत्रित हो गई और पुलिस को इतनी देर क्यों लगी स्थिति को संभालने में? वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि, “यह हमारे समाज पर धब्बा है। महिलाओं, विशेष रूप से ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा।”

नागरिक समाज और महिलाओं की आवाज

महिला अधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि, “यदि ड्यूटी पर मौजूद महिला पुलिस भी सुरक्षित नहीं है, तो आम महिलाओं की स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है।” उन्होंने सरकार से महिला सुरक्षा के लिए ठोस नीति लागू करने की मांग की है।

स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल

हिंसा से प्रभावित इलाकों में अब भी डर का माहौल है। दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने भारी नुकसान उठाया है और अब उन्हें अपनी रोज़ी-रोटी को लेकर चिंता सता रही है। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं देखी थी और अब वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे हैं।

क्या सीख लेगा समाज?

नागपुर की यह घटना केवल एक कानून-व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक विफलता का प्रतीक है। जब भीड़ का गुस्सा महिलाओं की गरिमा रौंदने लगे, तो समझ लेना चाहिए कि हमें केवल पुलिस नहीं, बल्कि अपने सामाजिक मूल्यों को भी मजबूत करने की जरूरत है।

अब समय है कि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर यह सुनिश्चित करें कि कानून का डर हर व्यक्ति के मन में हो और महिला सुरक्षा केवल एक नारा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत बने।

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