नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025 — भारतीय राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड(National Herald case) मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और अन्य सहयोगियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। यह मामला वर्षों से चल रहा है, लेकिन 2025 में इसकी कानूनी प्रक्रिया ने तेजी पकड़ ली है।
ED chargesheet against Sonia, Rahul, others nothing but politics of vendetta, intimidation by PM Modi: Congress on National Herald case
— Press Trust of India (@PTI_News) April 15, 2025
इस चार्जशीट में कांग्रेस के दो और दिग्गज नेताओं — सैम पित्रोदा और सुमन दुबे — को भी आरोपी बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला और इसे “राज्य प्रायोजित अपराध” करार दिया है।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
नेशनल हेराल्ड अख़बार की शुरुआत 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम की आवाज़ बनना था। यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नामक कंपनी द्वारा प्रकाशित किया जाता था। लेकिन समय के साथ आर्थिक समस्याओं के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया।
इसके बाद, कांग्रेस पार्टी ने AJL को लगभग 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया, ताकि उसका कर्ज़ चुकाया जा सके। लेकिन बाद में एक नई कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। इस कंपनी ने AJL का अधिग्रहण कर लिया।
ईडी का आरोप है कि यह अधिग्रहण पारदर्शिता के साथ नहीं हुआ और AJL की अरबों की संपत्तियों को YIL को हस्तांतरित करके धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
ईडी का दावा और चार्जशीट की अहम बातें
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि:
- यंग इंडियन कंपनी को मात्र ₹50 लाख में AJL की 2000 करोड़ से अधिक की संपत्ति का लाभ मिला।
- यह सौदा एक सुनियोजित साजिश थी ताकि निजी लाभ के लिए सार्वजनिक संपत्ति पर नियंत्रण किया जा सके।
- गांधी परिवार और उनके सहयोगियों ने राजनीतिक रसूख का गलत इस्तेमाल किया।
चार्जशीट 16 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत में दाखिल की गई। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को होगी, जिसमें ईडी को केस डायरी पेश करनी होगी।
कांग्रेस का पलटवार: ‘डराने की साजिश’
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा:
“यह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कांग्रेस नेतृत्व को डराने और बदनाम करने की साजिश है। हम इससे डरने वाले नहीं हैं। राहुल गांधी और सोनिया गांधी देश के लिए लड़ते रहेंगे।”
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है।
कानूनी दृष्टिकोण और अब तक की स्थिति
- मामले की जांच सबसे पहले 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर शुरू हुई थी।
- 2014 में कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी सहित अन्य आरोपियों को समन भेजा था।
- अब 2025 में ईडी की चार्जशीट के बाद मामला एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अदालत इस चार्जशीट को वैध मानती है और अभियोजन की प्रक्रिया शुरू होती है, तो यह कांग्रेस के लिए 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद एक और बड़ा राजनीतिक संकट हो सकता है।
राजनीतिक असर और भविष्य की राह
नेशनल हेराल्ड केस अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं रह गया है — यह देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के नेतृत्व को कटघरे में लाने का माध्यम बन गया है। इससे कांग्रेस की साख, आगामी राज्य और लोकसभा चुनावों में रणनीति, और विपक्षी एकता सभी पर असर पड़ सकता है।
वहीं, बीजेपी लगातार यह दावा कर रही है कि यह कार्रवाई कानून के अनुसार हो रही है और इसका कोई राजनीतिक एंगल नहीं है। मगर विपक्षी पार्टियाँ इस पर सहमत नहीं दिखतीं और इसे लोकतंत्र पर हमला मान रही हैं।
अगला बड़ा दिन: 25 अप्रैल 2025
अब सबकी निगाहें 25 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां विशेष अदालत यह तय करेगी कि मामले में आरोप तय करने लायक साक्ष्य हैं या नहीं। यदि कोर्ट संज्ञान लेती है, तो गांधी परिवार के लिए कानूनी लड़ाई और भी जटिल हो सकती है।
नेशनल हेराल्ड केस भारतीय राजनीति और कानून के टकराव का एक जीवंत उदाहरण बन चुका है। जहां एक ओर इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे सरकार की ओर से प्रतिशोध की राजनीति बताया जा रहा है। आने वाले समय में यह मामला किस दिशा में जाएगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
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