New Chief Election Commissioner: 17 फरवरी 2025 को, भारत सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाह ज्ञानेश कुमार को देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में नियुक्त किया। यह नियुक्ति भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति एक नए कानून के तहत की गई है। आइए जानते हैं कि कौन हैं ज्ञानेश कुमार और उनकी यह नियुक्ति क्यों खास है।
Gyanesh Kumar, Election Commissioner, is the new Chief Election Commissioner of India, with effect from 19th February 2025. pic.twitter.com/QGTsz2dPRQ
— ANI (@ANI) February 17, 2025
ज्ञानेश कुमार: प्रशासनिक सेवा का लंबा अनुभव
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। उन्होंने अपने तीन दशक से अधिक लंबे करियर में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों और विभागों में सेवा दी है। विशेष रूप से, केंद्रीय गृह मंत्रालय में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर मामलों से संबंधित विभाग में एक प्रमुख अधिकारी के रूप में काम किया और 2019 में अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद राज्य में प्रशासनिक फैसलों के सफल कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, उन्होंने संसदीय कार्य मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय में भी सेवा दी है। सहकारिता मंत्रालय में, ज्ञानेश कुमार ने बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) अधिनियम, 2023 को लागू करने में अहम योगदान दिया, जिससे सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव
ज्ञानेश कुमार की यह नियुक्ति “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023” के तहत की गई है। इस अधिनियम के तहत, एक सर्च कमेटी केंद्र सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों के नामों को शॉर्टलिस्ट करती है। इसके बाद, प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक चयन समिति इनमें से एक नाम की राष्ट्रपति को सिफारिश करती है, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होती है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि यह नई नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत की चुनाव प्रक्रिया और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस चल रही है। ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि भारत निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए प्रतिबद्ध है।
नई जिम्मेदारियां और चुनौतियां
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ज्ञानेश कुमार के सामने देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनाए रखने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। उन्हें आगामी लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग की पूरी मशीनरी का नेतृत्व करना होगा।
चुनावों में धनबल और बाहुबल का प्रयोग, मतदाता सूची की पवित्रता, फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया पर गलत सूचना के प्रसार जैसे मुद्दे उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल होंगे। इन चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञानेश कुमार के पास न केवल प्रशासनिक अनुभव है, बल्कि राजनीतिक संतुलन और निष्पक्षता बनाए रखने की कुशलता भी है।
साथ ही, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर बार-बार उठने वाले सवालों के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए क्या नई पहल करते हैं।
लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की ओर कदम
भारत जैसे विशाल और विविध लोकतंत्र में चुनाव आयोग की भूमिका किसी रीढ़ की हड्डी से कम नहीं है। एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया ही देश की लोकतांत्रिक परंपरा को जीवंत रखती है। इस दृष्टि से ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति एक आशाजनक कदम है। उनके प्रशासनिक अनुभव, दृढ़ निर्णय क्षमता और निष्पक्ष दृष्टिकोण से उम्मीद की जा रही है कि वे भारतीय लोकतंत्र को और सुदृढ़ बनाएंगे।
आने वाले वर्षों में, जब भारत के करोड़ों मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेंगे, तब ज्ञानेश कुमार की नेतृत्व क्षमता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता की परख होगी। देश की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इस पर टिकी होंगी कि वे भारत की चुनावी प्रक्रिया को कैसे और बेहतर बनाते हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी नियुक्ति न केवल चुनाव आयोग के भविष्य के लिए, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।