October 8, 2025
Northeast Rain

Northeast Rain: विनाशकारी मानसून की तबाही, पूर्वोत्तर में 36 की मौत, दिल्ली में येलो अलर्ट

Northeast Rain: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस बार मानसून अपनी सबसे भयावह और विनाशकारी रूप में सामने आया है। भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलनों ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक इस प्राकृतिक आपदा में 36 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें तीन भारतीय सेना के जवान भी शामिल हैं। इसके अलावा कई लोग लापता हैं और सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

वहीं, देश की राजधानी दिल्ली भी मौसम के अचानक बदले मिज़ाज से प्रभावित हुई है। गर्मी, धूल भरे तूफान और मूसलधार बारिश के बीच मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है। कई हिस्सों में पेड़ गिरने, सड़कें बंद होने और बिजली की आपूर्ति बाधित होने जैसी घटनाएं सामने आई हैं।

सिक्किम में सेना पर कहर: तीन जवानों की मौत, कई लापता

सिक्किम के चटेन क्षेत्र में रविवार रात भारी बारिश के कारण एक सैन्य चौकी पर भूस्खलन हो गया। इस दर्दनाक घटना में भारतीय सेना के तीन जवानों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य अब भी लापता हैं। इनमें एक कमांडिंग ऑफिसर, उनकी पत्नी और बच्चा भी शामिल हैं। यह घटना भारत-चीन सीमा के पास स्थित एक संवेदनशील इलाके में घटी, जहाँ पर सेना की नियमित तैनाती होती है।

स्थानीय प्रशासन, सेना और एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। इलाके में सड़कें टूट चुकी हैं, जिससे बचाव कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं। प्रशासन ने हेलिकॉप्टर के माध्यम से राहत सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की है।

असम और अरुणाचल प्रदेश: बाढ़ की चपेट में लाखों लोग

असम में हर साल की तरह इस बार भी मानसून कहर बनकर टूटा है, लेकिन इस बार स्थिति पहले से कहीं ज्यादा भयावह है। अब तक दर्जनों गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। नदियों— विशेषकर ब्रह्मपुत्र, कोपिली, पुथिमारी और पगलाडिया— ने खतरे के निशान को पार कर लिया है। प्रशासन के अनुसार, 23 जिलों में बाढ़ से लगभग 2.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी अछूता नहीं रहा। पार्क का 18 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न हो गया है, जिससे कई वन्यजीव प्रभावित हुए हैं। हाथी, हिरण और गैंडे जैसे जानवर ऊँचाई वाले क्षेत्रों की ओर भागते देखे गए हैं। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में लैंडस्लाइड्स और तेज़ बारिश से कई सड़कें बंद हैं और संचार प्रणाली भी बाधित हुई है।

राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत कैंप खोले हैं और खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएँ पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और आपातकालीन राहत कार्यों की समीक्षा की।

मेघालय और मिजोरम: बारिश से ढहती ज़िंदगियाँ

मेघालय में चक्रवात ‘रेमल’ के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई। पूर्वी खासी हिल्स और जयंतिया हिल्स जिलों में कई जगहों पर भूस्खलन हुआ। दो लोगों की मौत और दर्जनों घायल हो चुके हैं। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है और सड़कों पर मिट्टी व मलबा जमा होने से लोगों का बाहर निकलना कठिन हो गया है।

मिजोरम में 200 से अधिक सड़कें या तो बंद हो चुकी हैं या क्षतिग्रस्त हैं। खासकर लुंगलेई और आइज़ोल जिलों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने केंद्र सरकार से आपात सहायता की मांग की है। एनडीआरएफ की टीमों को तैनात कर दिया गया है और प्रभावित क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।

दिल्ली-NCR में मौसम की मार, येलो अलर्ट

वहीं, उत्तर भारत की बात करें तो दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में गर्मी के बाद अचानक बदला मौसम और फिर धूल भरी आँधियों और बारिश ने लोगों को चौंका दिया। पिछले सप्ताह आई आंधी-तूफान में दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में तीन लोगों की जान चली गई और 23 से अधिक घायल हुए।

दिल्ली में पेड़ गिरने, ट्रैफिक जाम और बिजली गुल होने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के अनुसार, 150 से अधिक सीएनजी स्टेशन बंद रहे। मौसम विभाग के अनुसार, मई 2025 में दिल्ली में 88 वर्षों में सबसे ज्यादा बारिश (228.1 मिमी) दर्ज की गई है।

यही नहीं, बारिश के बाद सड़कों पर जलभराव के चलते वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर लापरवाही के आरोप भी लग रहे हैं क्योंकि अधिकांश नालों की सफाई समय पर नहीं हुई थी।

केंद्र सरकार और NDRF की सक्रियता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी टीम को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और आवश्यक सहायता पहुंचाने का निर्देश दिया है। केंद्र ने एनडीआरएफ की टीमें तत्काल प्रभाव से तैनात कर दी हैं और जरूरत के अनुसार हेलिकॉप्टर, बोट्स और मेडिकल किट्स भेजी जा रही हैं।

प्रभावित राज्यों में राहत और पुनर्वास के लिए राज्य सरकारों को विशेष कोष भी जारी किया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्थिति पर चिंता जताते हुए हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया है।

क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक?

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में उठे कम दबाव के क्षेत्र और पूर्वोत्तर हवाओं के कारण यह भारी वर्षा हो रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति कुछ और दिनों तक बनी रह सकती है। खासकर असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में आने वाले दिनों में और अधिक बारिश की संभावना है। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

नागरिकों से अपील

प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे मौसम विभाग के अलर्ट का पालन करें, अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षित स्थानों पर रहें। स्कूलों में छुट्टियाँ घोषित की गई हैं और नदी किनारे रह रहे परिवारों को तुरंत निकाले जाने का कार्य जारी है।

भारत में मानसून जहां एक ओर जीवनदायिनी वर्षा लाता है, वहीं दूसरी ओर यह तबाही भी ला सकता है — इसका उदाहरण इस साल का मानसून बन चुका है। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य जलप्रलय की चपेट में हैं और दिल्ली जैसे महानगरों में भी मौसम की मार झेलनी पड़ रही है। ऐसी आपदाएं एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती हैं कि हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक जागरूक और तैयार रहने की आवश्यकता है।

सरकार, सेना और राहत एजेंसियाँ पूरी मुस्तैदी से काम कर रही हैं, लेकिन जब तक आम नागरिक भी सजग और सहयोगी नहीं बनते, तब तक इस तबाही से उबर पाना आसान नहीं होगा।

अधिक समाचारों के लिए पढ़ते रहें जनविचार।

Kiran Mankar

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