Operation Sindoor aftermath

Operation Sindoor aftermath: ऑपरेशन सिंदूर के कारण भारत में 25 हवाई अड्डों की अस्थायी बंदी, 300 से ज्यादा उड़ानें रद्द

Operation Sindoor aftermath: 7 मई 2025 को भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का असर न केवल सीमा पर बल्कि हवाई यात्रा पर भी पड़ा। भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों से 25 प्रमुख हवाई अड्डों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया और 300 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द या डायवर्ट कर दिया। इस निर्णय का सीधा प्रभाव यात्रियों पर पड़ा, जिनकी यात्रा योजनाओं में अचानक बदलाव आया।

हवाई अड्डों पर अस्थायी बंदी का कारण

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सैन्य कार्रवाइयों के कारण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई हवाई अड्डों को बंद करने का निर्णय लिया। भारतीय वायुसेना और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिविधियों को देखते हुए, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह कदम उठाया ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इन हवाई अड्डों में जम्मू, श्रीनगर, अमृतसर, लेह, पठानकोट, चंडीगढ़, जोधपुर, जैसलमेर, शिमला, धर्मशाला, और जामनगर जैसे महत्वपूर्ण स्थल शामिल थे।

यह कदम पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और सीमा पर संभावित सैन्य संघर्ष के कारण उठाया गया था। सरकार का मानना था कि इन क्षेत्रों में हवाई यात्रा पर खतरा हो सकता है, इसलिए अस्थायी बंदी और उड़ानों की रद्दीकरण की आवश्यकता महसूस की गई।

300 से ज्यादा उड़ानों का रद्द या डायवर्ट होना

भारत के प्रमुख विमानन कंपनियां जैसे एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट, अकासा एयर, एयर इंडिया एक्सप्रेस और विदेशी एयरलाइनों ने इस अस्थायी बंदी के कारण अपनी उड़ानों को रद्द या डायवर्ट किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 300 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को प्रभावित किया गया, जिससे हज़ारों यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

इन प्रभावित उड़ानों में कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और अन्य प्रभावित राज्यों से जुड़ी उड़ानें शामिल थीं। भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा के पास स्थित हवाई अड्डों से उड़ानें रद्द करने का निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी प्रभावित हुईं, खासकर वे जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए थीं।

यात्रियों पर प्रभाव

उड़ानें रद्द होने के कारण यात्रियों को नई व्यवस्था करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। कई यात्रियों को अपनी यात्रा योजनाओं को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। हवाई अड्डों पर यात्रियों की लंबी कतारें देखी गईं, और एयरलाइनों के कर्मचारियों ने उन्हें वैकल्पिक फ्लाइट्स या रिफंड देने के प्रयास किए। कई यात्री खासकर जम्मू और कश्मीर से आने-जाने वाले लोग विशेष रूप से प्रभावित हुए, क्योंकि इन क्षेत्रों में यात्रा के अन्य विकल्प सीमित होते हैं।

वहीं, एयरलाइनों ने यात्रियों से अपील की कि वे अपनी उड़ानों की स्थिति के बारे में अपडेट लेने के लिए एयरलाइन के आधिकारिक चैनलों का इस्तेमाल करें और लंबी प्रतीक्षा से बचने के लिए अपने समय से पहले हवाई अड्डे पर पहुंचें। हालांकि, एयरलाइनों को भी इस स्थिति में वित्तीय नुकसान हुआ, क्योंकि रद्द की गई उड़ानों से उन्हें राजस्व में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा।

सुरक्षा उपायों और यात्रा में बढ़ी असुविधा

इस अस्थायी बंदी के दौरान, हवाई अड्डों पर सुरक्षा उपायों को भी कड़ा कर दिया गया। सुरक्षा अधिकारियों ने यात्रियों और सामान की जांच को और अधिक सख्त किया, जिससे हवाई अड्डों पर भीड़ बढ़ गई और यात्रा करने वाले यात्रियों को और अधिक असुविधा का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, उड़ानों के रद्द होने से यात्रियों को अपनी योजनाओं को फिर से तैयार करने में भी परेशानी हुई, और कई यात्रियों ने फ्लाइट्स को रीशेड्यूल करने के लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान भी किया।

हवाई यात्रा पर भविष्य में प्रभाव

ऑपरेशन सिंदूर और इसके कारण हवाई यात्रा पर पड़े प्रभाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध जैसी स्थितियों में नागरिक उड्डयन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से न केवल यात्रियों को असुविधा होती है, बल्कि एयरलाइनों को भी भारी वित्तीय नुकसान होता है।

यदि सीमा पर तनाव और भी बढ़ता है तो हवाई यात्रा के लिए सुरक्षा उपायों में और अधिक बदलाव हो सकते हैं। यात्रियों को अधिक चौकसी के साथ यात्रा करनी होगी, और एयरलाइनों को अपने परिचालन को नए सुरक्षा मानकों के अनुरूप बदलने की आवश्यकता हो सकती है।

ऑपरेशन सिंदूर के कारण हवाई यात्रा पर पड़े प्रभाव ने यह दिखाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए कभी-कभी एयरलाइनों को अपनी उड़ानों को रद्द करने या स्थगित करने की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, यह कदम यात्रियों के लिए असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि संकट की स्थिति में उनकी सुरक्षा बनी रहे।

वर्तमान में, भारतीय सरकार और विमानन कंपनियां प्रभावित यात्रियों को सहायता प्रदान करने में जुटी हुई हैं और जैसे ही स्थिति सामान्य होती है, उड़ानें फिर से चालू की जाएंगी। हालांकि, यह समय इस बात का है कि यात्री सुरक्षा और सुविधाओं के साथ-साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को सबसे कम परेशानी हो।

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