Pahalgam Terror Attack

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। इस क्रूर हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक मारे गए, जिसे भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का नतीजा करार दिया। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शनिवार को “निष्पक्ष जांच” की मांग की और खुद को बेदाग बताया। इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर के जटिल भू-राजनीतिक मसले को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया है। आइए, इस हमले और इसके बाद के घटनाक्रम पर नजर डालें।

पहलगाम में खूनी मंजर

पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है, मंगलवार को उस समय दहल उठा जब बाइसारन मीडो में अज्ञात बंदूकधारियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर भारतीय पर्यटक थे, और 17 अन्य घायल हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावरों ने कुछ पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी और फिर गोलियां बरसाईं। यह हमला इतना सुनियोजित था कि स्थानीय प्रशासन को तुरंत हालात संभालने में मुश्किल हुई।

भारतीय जांच एजेंसियों ने प्रारंभिक जांच में दावा किया कि हमले में शामिल तीन संदिग्ध आतंकियों में से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह हमला सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का स्पष्ट उदाहरण है।” भारत ने इस हमले को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जोड़ा, जिसे वह कश्मीर में अस्थिरता फैलाने का जिम्मेदार मानता है।

पाकिस्तान का “निष्पक्ष” राग

पाकिस्तान ने शनिवार को इस हमले की “निष्पक्ष और पारदर्शी” जांच की मांग उठाई। इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तानी आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा, “हम इस हमले की निंदा करते हैं और जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। लेकिन भारत को बिना सबूत के हमें दोषी ठहराना बंद करना चाहिए।” पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी अब्बोटाबाद में एक सैन्य समारोह में कहा, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर भारत ने उकसाया, तो हम जवाब देने में सक्षम हैं।”

पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि यह हमला भारत का “आंतरिक षड्यंत्र” हो सकता है, ताकि उसे बदनाम किया जाए। हालांकि, इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने “हास्यास्पद और आधारहीन” करार दिया।

भारत का सख्त जवाब

हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। बुधवार को, केंद्र सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की, जो दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। यह कदम दशकों में पहली बार उठाया गया है, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया। इसके अलावा, भारत ने एकमात्र सीमा क्रॉसिंग को बंद कर दिया, पाकिस्तानी राजनयिकों की संख्या कम करने का आदेश जारी किया और सभी पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं स्थगित कर दीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के भागलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “यह हमला भारत की संप्रभुता पर हमला है। आतंकियों और उनके आकाओं को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कश्मीर में शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध है, और “पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद” को कुचलने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

भारतीय सेना ने भी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर शुक्रवार को पाकिस्तानी सेना की ओर से कथित “बिना उकसावे की गोलीबारी” का जवाब दिया। सेना के एक प्रवक्ता ने बताया, “हमारी कार्रवाई नियंत्रित थी, और इसमें कोई हताहत नहीं हुआ।”

कश्मीर का ऐतिहासिक संदर्भ

कश्मीर का मुद्दा 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव का प्रमुख कारण रहा है। दोनों देश इस क्षेत्र पर पूर्ण दावा करते हैं, लेकिन इसका केवल एक हिस्सा ही उनके नियंत्रण में है। 1989 से, भारतीय प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी हिंसा ने हजारों लोगों की जान ली है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों को समर्थन देता है, जबकि पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता है।

2019 में, भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति (अनुच्छेद 370) को रद्द करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। इस कदम ने कश्मीर में पर्यटन और निवेश को बढ़ावा दिया, लेकिन स्थानीय स्तर पर कुछ असंतोष भी पैदा किया।

टीआरएफ की जिम्मेदारी और उसका यू-टर्न

इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा माना जाता है। लेकिन बाद में टीआरएफ ने अपने दावे से पलटते हुए कहा कि उसका “सोशल मीडिया अकाउंट हैक” हो गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक अधिकारी ने बताया, “टीआरएफ जैसे समूह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के इशारे पर काम करते हैं। उनका यू-टर्न केवल समय हासिल करने की रणनीति है।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस हमले ने वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचा है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से “अधिकतम संयम” बरतने की अपील की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रति समर्थन जताया, जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता दिखाई। ईरान और सऊदी अरब ने दोनों देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया।

कश्मीर के पर्यटन पर असर

पहलगाम और कश्मीर के अन्य पर्यटन स्थल स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। 2024 में, कश्मीर में 35 लाख पर्यटकों ने दौरा किया, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है। लेकिन इस हमले ने पर्यटकों में डर पैदा कर दिया है, जिसका असर होटल, रेस्तरां और ट्रैवल एजेंसियों पर पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों ने घायल पर्यटकों की मदद करके कश्मीरियत की मिसाल पेश की।

आगे की राह

यह हमला भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और जटिल बना सकता है। सिंधु जल संधि का निलंबन और सीमा पर बढ़ता तनाव दोनों देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम उठा सकता है, लेकिन कई विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी।

कश्मीर में सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान तेज कर दिया है। कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, और आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया जा रहा है।

पहलगाम हमला न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह कश्मीर के जटिल मसले को भी उजागर करता है। भारत का कड़ा रुख और पाकिस्तान की “निष्पक्ष जांच” की मांग दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर रही है। कश्मीर के लोग, जो दशकों से हिंसा का शिकार हो रहे हैं, सिर्फ शांति और स्थिरता चाहते हैं। क्या दोनों देश इस मौके पर संवाद की राह चुनेंगे, या फिर यह तनाव और बढ़ेगा? यह समय ही बताएगा।

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