PM Modi podcast with Lex Fridman

PM Modi podcast with Lex Fridman: पॉडकास्ट में प्रगति की बात, विपक्ष ने कहा ‘Hypo(d)crisy की सीमा नहीं’

PM Modi podcast with Lex Fridman: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विस्तृत और विचारोत्तेजक पॉडकास्ट में भाग लिया। इस बातचीत में तकनीक, संस्कृति, लोकतंत्र और वैश्विक परिदृश्य जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। जहां एक ओर इस पॉडकास्ट को एक नई शुरुआत और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को मजबूत करने की दिशा में कदम बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इसे आलोचना का एक बड़ा कारण बना लिया है।

लेक्स फ्रिडमैन कौन हैं?

लेक्स फ्रिडमैन एक प्रतिष्ठित कंप्यूटर वैज्ञानिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ हैं। उनके पॉडकास्ट को दुनिया भर में सुना जाता है, जिसमें वे विज्ञान, तकनीक, राजनीति, दर्शन और समाज से जुड़े मुद्दों पर चर्चित हस्तियों के साथ संवाद करते हैं। फ्रिडमैन की बातचीत का अंदाज गहरा और विचारोत्तेजक होता है, और वे कठिन सवालों को भी सहज ढंग से सामने रखते हैं।

पॉडकास्ट में क्या खास था?

इस पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की तकनीकी प्रगति, डिजिटल इंडिया की यात्रा, युवा नवाचार, आत्मनिर्भर भारत और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि कैसे तकनीक का इस्तेमाल ग्रामीण भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने लोकतंत्र और आलोचना की भूमिका को भी स्वीकारा और कहा, “आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है।”

कांग्रेस का पलटवार: ‘Hypo(d)crisy की कोई सीमा नहीं’

प्रधानमंत्री की इस बातचीत पर कांग्रेस पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जो प्रधानमंत्री भारतीय मीडिया से सीधे संवाद नहीं करते, उन्होंने एक विदेशी पॉडकास्टर से बात करना चुना। उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से डरता है, वह एक विदेशी पॉडकास्टर के सामने सहज महसूस करता है। और फिर भी कहता है कि आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है, जबकि उन्होंने हर उस संस्था को कमजोर किया है जो सरकार की जवाबदेही तय करती है। आलोचकों पर जो आक्रामकता दिखाई गई है, उसकी मिसाल हालिया इतिहास में नहीं मिलती। Hypo(d)crisy की कोई सीमा नहीं है।”

जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं विभाजित रहीं। एक वर्ग ने प्रधानमंत्री के इस कदम को सकारात्मक बताया, जो भारत की वैश्विक पहुंच को दर्शाता है। वहीं, कुछ लोगों ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री भारतीय मीडिया से संवाद क्यों नहीं करते, और प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी क्यों बनाए रखते हैं।

विशेषज्ञों की नजर में

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री का यह इंटरव्यू भारत के वैश्विक संवाद को मजबूती देता है, खासकर तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों में। हालांकि, लोकतंत्र में घरेलू मीडिया के साथ नियमित संवाद भी उतना ही आवश्यक है। यह जरूरी है कि जनता के सामने सवाल-जवाब का एक निष्पक्ष और पारदर्शी मंच हो।

प्रधानमंत्री मोदी का लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट करना एक रोचक और नए युग की शुरुआत माना जा सकता है। यह भारत की सोच को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का माध्यम बना है। लेकिन विपक्ष की आलोचना और जनता की अपेक्षाएं इस ओर इशारा करती हैं कि लोकतंत्र केवल संवाद से नहीं, पारदर्शिता और जवाबदेही से भी चलता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री घरेलू संवाद के स्तर पर क्या कदम उठाते हैं।

Admin

Kiran Mankar - Admin & Editor, Jana Vichar.Kiran manages and curates content for Jana Vichar, a platform dedicated to delivering detailed, trending news from India and around the world. Passionate about journalism, technology, and the evolving landscape of human relationships, Kiran ensures that every story is engaging, insightful, and relevant. With a focus on accuracy and a human-centered approach, Kiran strives to keep readers informed with meaningful news coverage.

View all posts by Admin →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *