Protests Erupted in USA

Protests Erupted in USA: अमेरिका में ‘हैंड्स ऑफ!’ आंदोलन, ट्रंप और मस्क के खिलाफ भड़का जनसैलाब

Protests Erupted in USA: अमेरिका में लोकतंत्र की रक्षा और नागरिक अधिकारों की मांग को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उबाल देखने को मिला। 5 अप्रैल 2025 को ‘हैंड्स ऑफ!’ नामक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में लाखों लोग एकजुट हुए। इस आंदोलन को अमेरिका के इतिहास में 2017 की महिला मार्च और ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के बाद सबसे बड़े जनआंदोलनों में से एक माना जा रहा है।

प्रदर्शन का मकसद था राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी माने जा रहे उद्योगपति एलन मस्क के बढ़ते प्रभाव और कथित ‘पावर ग्रैब’ के खिलाफ आवाज़ उठाना। इन दोनों पर आरोप है कि वे सरकारी तंत्र और नीतियों को अपने निजी एजेंडे के अनुसार चला रहे हैं, जिससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में पड़ रही है।

आंदोलन का विस्तार और ताकत

यह आंदोलन सिर्फ कुछ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा। न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लॉस एंजिल्स, शिकागो, सिएटल, अटलांटा जैसे महानगरों से लेकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों तक इसका प्रभाव देखने को मिला। अमेरिका के सभी 50 राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हुए — एक तरह से यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक प्रतिरोध बन गया।

इस विरोध में सैकड़ों नागरिक अधिकार संगठन, श्रमिक संघ, LGBTQ+ समुदाय, महिला अधिकार समूह, छात्र संगठन, पूर्व सैनिक, और आम नागरिक शामिल हुए। 150 से अधिक सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया, जो अपने आप में इसकी व्यापकता को दर्शाता है।

प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर थे जिन पर लिखा था:

  • “हमें हमारे अधिकार वापस दो”
  • “लोकतंत्र से हाथ हटाओ”
  • “हम अमेरिका को बर्बाद नहीं होने देंगे”
  • “मस्क और ट्रंप – सत्ता की जोड़ी नहीं, खतरे की घंटी है”

विरोध के मुख्य कारण

1. सरकारी कर्मचारियों की छंटनी

प्रशासन द्वारा हाल ही में हजारों संघीय कर्मचारियों की छंटनी की गई, खासकर सोशल सिक्योरिटी, हेल्थ, और एजुकेशन जैसे महत्वपूर्ण विभागों में। इस फैसले से न केवल बेरोजगारी बढ़ी है, बल्कि सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है।

2. सोशल सिक्योरिटी कार्यालयों का बंद होना

सोशल सिक्योरिटी प्रशासन ने कई फील्ड ऑफिस बंद कर दिए हैं, जिनका असर बुज़ुर्गों, विकलांगों और जरूरतमंद वर्गों पर सीधा पड़ा है। लोग अब अपनी पेंशन, स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी सहायता के लिए घंटों यात्रा करने को मजबूर हैं।

3. एलन मस्क की नई भूमिका

एलन मस्क को हाल ही में सरकार द्वारा नवगठित ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ का प्रमुख नियुक्त किया गया है। मस्क का दावा है कि वे सरकारी खर्चों में कटौती कर देश का पैसा बचा रहे हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये कटौतियाँ जनता की बुनियादी सुविधाओं को खत्म कर रही हैं।

4. अल्पसंख्यकों और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों पर हमले

ट्रंप प्रशासन की कई नीतियाँ LGBTQ+ अधिकारों, अप्रवासी समुदाय, और रंगभेद-पीड़ित समूहों के खिलाफ मानी जा रही हैं। हालिया नीतिगत बदलावों ने ट्रांसजेंडर नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार में हिस्सेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

लोगों की प्रतिक्रिया

प्रदर्शन में शामिल 66 वर्षीय सेवानिवृत्त सैनिक रोजर ब्रूम ने कहा, “ट्रंप ने देश को दो हिस्सों में बांट दिया है। यह अब एक लोकतंत्र नहीं, बल्कि उनके निजी विचारों का शासन बनता जा रहा है।”

फ्लोरिडा की 48 वर्षीय आर्चर मोरन, जो कि एक सिंगल मदर हैं, ने कहा, “हमें हमारे सोशल सिक्योरिटी फंड से हाथ हटाने की जरूरत है। हमने दशकों तक टैक्स दिए हैं — अब ये लोग हमारे अधिकार छीन रहे हैं।”

बोस्टन की मेयर मिशेल वू ने एक जनसभा में कहा, “मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे ऐसे अमेरिका में बड़े हों जहाँ लोकतंत्र के मूल्य खतरे में हों। यह देश विविधता, समानता और स्वतंत्रता का प्रतीक रहा है — हम इसे यूँ नहीं खोने देंगे।”

एलन मस्क का पक्ष

एलन मस्क ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनका उद्देश्य केवल सरकारी कार्यप्रणाली को अधिक कुशल बनाना है। उनके अनुसार, वे करदाताओं के अरबों डॉलर बचा रहे हैं और भ्रष्टाचार तथा अपव्यय पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘हैंड्स ऑफ!’ आंदोलन महज़ एक विरोध नहीं, बल्कि एक नई लहर की शुरुआत है। इस आंदोलन ने अमेरिका की जनता को फिर से जागरूक और सक्रिय किया है।

आगामी राष्ट्रपति चुनाव के दृष्टिकोण से भी यह आंदोलन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि यह ऊर्जा बनी रही, तो यह ट्रंप और उनके सहयोगियों की सत्ता में वापसी की राह में बड़ा रोड़ा बन सकता है।

‘हैंड्स ऑफ!’ आंदोलन ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका की जनता अब चुप बैठने के मूड में नहीं है। लोग सरकार से पारदर्शिता, जवाबदेही और जनकल्याण की मांग कर रहे हैं। ट्रंप और मस्क के खिलाफ यह जन आक्रोश अब केवल विरोध का स्वर नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की हुंकार बन गया है।

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