Ranjani Srinivasan self deportation

Ranjani Srinivasan self deportation: अमेरिका से भारतीय छात्रा का निर्वासन: हमास समर्थन के आरोप में वीजा रद्द

Ranjani Srinivasan self deportation: हाल ही में, भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन को अमेरिका से निर्वासित किया गया है, क्योंकि उन्होंने हमास के समर्थन में प्रदर्शनों में भाग लिया था। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने हवाई अड्डे पर रंजनी का वीडियो साझा करते हुए कहा कि जो कोई भी हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करता है, उसे हमारे देश में रहने का अधिकार नहीं है।

यह घटना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जनवरी 2025 में हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के बाद सामने आई है, जिसका उद्देश्य यहूदी-विरोधी घटनाओं और फिलिस्तीन समर्थक गतिविधियों पर नियंत्रण करना है। इस आदेश के तहत, विदेशी छात्रों की राजनीतिक गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, और आवश्यक होने पर उनके वीजा रद्द या उन्हें निर्वासित किया जा सकता है।

रंजनी श्रीनिवासन का मामला:

रंजनी श्रीनिवासन, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस की छात्रा थीं, ने हाल ही में कैंपस में आयोजित एक फिलिस्तीन समर्थक रैली में भाग लिया था। इस रैली में हमास के समर्थन में नारे लगाए गए और इजरायल की नीतियों की आलोचना की गई। अमेरिकी अधिकारियों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए रंजनी के वीजा को रद्द कर दिया और उन्हें स्वदेश लौटने का आदेश दिया।

ट्रंप प्रशासन की सख्ती:

ट्रंप प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों या उनके समर्थन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि जो भी विदेशी नागरिक या छात्र हमास जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन करते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें वीजा रद्द करना और निर्वासन शामिल है।

विदेशी छात्रों पर प्रभाव:

अमेरिका में वर्तमान में लगभग 3,31,602 भारतीय छात्र अध्ययनरत हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23% अधिक है। हालांकि, इस नए आदेश के बाद, विदेशी छात्रों में चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से अब छात्रों को बचना चाहिए, क्योंकि इससे उनके वीजा और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस:

इस आदेश की आलोचना भी हो रही है। कई मानवाधिकार संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उनका तर्क है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और विरोध करना लोकतंत्र का हिस्सा है, और इसे आतंकवाद के समर्थन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि वे केवल उन गतिविधियों पर कार्रवाई कर रहे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

शिक्षण संस्थानों की भूमिका:

कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने इस आदेश के बाद अपने छात्रों को राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि छात्रों को अपनी सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए किसी भी विवादास्पद गतिविधि से दूर रहना चाहिए। साथ ही, शिक्षण संस्थान भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके परिसर में कोई भी गतिविधि कानून के दायरे में हो।

रंजनी श्रीनिवासन का मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जो दिखाता है कि विदेशी छात्रों को अपने मेजबान देश के कानूनों और नीतियों का पालन करना कितना आवश्यक है। राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि यह राय कानून के दायरे में हो और किसी भी प्रकार की हिंसा या आतंकवाद का समर्थन न करे। छात्रों को अपनी सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर कदम उठाने चाहिए।

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