S Jaishankar to Pakistani reporter: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में एक कार्यक्रम में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने इसे भारत का अभिन्न हिस्सा बताया और संकेत दिया कि भविष्य में इसे भारत में शामिल किया जाएगा।
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— Mint (@livemint) March 6, 2025
इस बयान ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
कश्मीर मुद्दे की पृष्ठभूमि
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद 1947 से चला आ रहा है, जब भारत विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय का निर्णय लिया। पाकिस्तान ने इस निर्णय को स्वीकार नहीं किया और दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ गया। युद्धविराम के बाद कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रहा, जिसे आज पीओके कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किए, लेकिन आज तक यह विवाद सुलझ नहीं पाया है।
अनुच्छेद 370 और भारत का रुख
2019 में, भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया। इस कदम का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर का पूर्ण एकीकरण और वहां विकास कार्यों को गति देना था। एस. जयशंकर ने इस निर्णय को “पहला कदम” बताया और संकेत दिया कि पीओके को भारत में शामिल करना अगला कदम हो सकता है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
जयशंकर के बयान पर पाकिस्तान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद है, जिसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के दावे भ्रामक और खतरनाक रूप से भ्रमित करने वाले हैं, क्योंकि वे जमीनी हकीकतों की अनदेखी करते हैं।
पीओके में असंतोष और भारत की दृष्टि
हाल के महीनों में, पीओके में आटे की कीमतों और बिजली दरों में वृद्धि के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इन प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों के साथ झड़पें भी हुईं, जिसमें कई लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। एस. जयशंकर ने इन घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीओके के लोग अब अपनी स्थिति की तुलना भारत के जम्मू-कश्मीर से कर रहे हैं, जहां विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीओके के लोग महसूस कर रहे हैं कि वे कब्जे में जी रहे हैं और उनके साथ भेदभाव हो रहा है।
आगे का रास्ता
भारत का मानना है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ बिना रुकावट बातचीत का युग खत्म हो गया है और अब कार्रवाई के परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि भारत निष्क्रिय नहीं है और पाकिस्तान के हर सकारात्मक या नकारात्मक कदम पर प्रतिक्रिया देगा।
दूसरी ओर, पाकिस्तान का कहना है कि वह कूटनीति और बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई का दृढ़ता से जवाब देगा। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर विवाद के समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है।
कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच एक जटिल और संवेदनशील विषय है, जो दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करता है। एस. जयशंकर का पीओके पर बयान और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि यह विवाद अभी भी सुलझने से कोसों दूर है। दोनों देशों के लिए आवश्यक है कि वे बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान खोजें, ताकि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके।