Sandeep Reddy Vanga

Sandeep Reddy Vanga’s reply: साल 2023 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘एनिमल’ ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल करते हुए लगभग ₹915 करोड़ की कमाई की। रणबीर कपूर, रश्मिका मंदाना और अनिल कपूर जैसे सितारों से सजी इस फिल्म को दर्शकों से खूब प्यार मिला, लेकिन साथ ही इसे आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। फिल्म में हिंसा के महिमामंडन और महिलाओं के प्रति कथित रूप से नकारात्मक दृष्टिकोण को लेकर कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की।

हाल ही में, निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने एक इंटरव्यू में इन आलोचनाओं पर खुलकर बात की। उन्होंने एक खास घटना का जिक्र किया जिसमें एक आईएएस अधिकारी ने ‘एनिमल’ की आलोचना करते हुए कहा था कि ऐसी फिल्में समाज को पीछे ले जाती हैं और नहीं बननी चाहिए। इस पर वांगा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो।

आईएएस अधिकारी की आलोचना और वांगा की प्रतिक्रिया

यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रसिद्ध यूपीएससी मेंटर विकास दिव्यकीर्ति ने ‘एनिमल’ को लेकर अपनी असहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह की फिल्में समाज को दस साल पीछे ले जाती हैं और इनमें कोई सकारात्मक सामाजिक संदेश नहीं होता। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संदीप रेड्डी वांगा ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से किसी पर हमला करेगा, तो स्वाभाविक रूप से गुस्सा आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आईएएस बनने के लिए किताबें पढ़कर परीक्षा पास की जा सकती है, लेकिन एक फिल्म निर्माता बनने के लिए कोई निश्चित मार्गदर्शन या संस्थान नहीं होता।

वांगा ने यह भी जोड़ा कि फिल्म निर्माण एक कला है और इसे मात्र एक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘एनिमल’ को लेकर दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया ही इस बात का प्रमाण है कि फिल्म ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है।

क्या सिनेमा केवल मनोरंजन है?

‘एनिमल’ जैसी फिल्मों पर होने वाली बहस यह दर्शाती है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने और प्रभावित करने का एक सशक्त जरिया भी हो सकता है। इस फिल्म की सफलता यह साबित करती है कि दर्शकों ने इसे पसंद किया, लेकिन साथ ही इसके कथानक को लेकर गंभीर चर्चा भी हुई।

यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या सिनेमा केवल मनोरंजन के लिए है, या इसे सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने और विचार-विमर्श को प्रेरित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। संदीप रेड्डी वांगा का यह कहना कि आईएएस बनना अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन फिल्म निर्माता बनना कठिन, इस तथ्य को दर्शाता है कि कला और सृजनात्मकता के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कोई तयशुदा मार्ग नहीं होता।

सिनेमा और समाज का संबंध

आलोचनाओं के बावजूद, ‘एनिमल’ की व्यावसायिक सफलता यह दर्शाती है कि दर्शकों ने इसे स्वीकार किया और पसंद किया। यह हमें यह भी सिखाता है कि हर कला रूप की अपनी विशेषता होती है, और उसे विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा और समझा जा सकता है। सिनेमा, एक शक्तिशाली माध्यम होने के नाते, समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने और संवाद को प्रोत्साहित करने में सक्षम है।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि सिनेमा की भूमिका केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह समाज के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और परिवर्तन लाने का एक प्रभावी साधन भी है। ‘एनिमल’ पर हुई बहस इस बात का प्रमाण है कि सिनेमा किस प्रकार समाज में महत्वपूर्ण चर्चाओं को जन्म दे सकता है। निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की प्रतिक्रिया यह समझने में मदद करती है कि कला और समाज के बीच का संबंध कितना जटिल और बहुआयामी हो सकता है।

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