Shubhanshu Shukla at ISS: अंतरिक्ष की गहराइयों से जब कोई भारतीय धरती की ओर देखता है, तो वह केवल नज़ारा नहीं होता, वह एक भावनात्मक जुड़ाव होता है—एक गर्व, एक प्रेरणा, एक अहसास कि हमने अब अंतरिक्ष में भी अपनी पहचान बना ली है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण जिया जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी की तरफ देखा और उनकी वह दृष्टि कैमरे में कैद हो गई। ये तस्वीरें अब भारत के लिए केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक भावनात्मक उपलब्धि बन गई हैं।
Group Capt #ShubhanshuShukla enjoys the stunning panoramic view of Earth from the 7-windowed Cupola Module aboard the International Space Station. It’s been a remarkable journey as he marks a week in orbit, representing India among the stars.#Axiom4 #NewIndia #ISS @NASA @isro pic.twitter.com/t1bFKdpdSa
— SansadTV (@sansad_tv) July 6, 2025
भारत सरकार द्वारा जारी की गई इन दुर्लभ और अत्यंत प्रेरणादायक तस्वीरों में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से बाहर झांकते नजर आ रहे हैं। उनके चेहरे पर एक शांत गर्व है, एक खोज की चमक है और उनकी आंखों में भारत की तरफ लौटती हुई आत्मीय दृष्टि। उनके पीछे फैली हुई नीली पृथ्वी, बादलों के झुंड और प्रकाश की झिलमिलाहट मानो यह कह रही हो—”भारत अब अंतरिक्ष का भी नागरिक है।”
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन हैं और वह भारत के पहले सैन्य अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। जून 2025 में उन्होंने एक ऐतिहासिक कदम उठाया जब उन्हें SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के जरिए Axiom Space के AX-4 मिशन में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजा गया। इस मिशन के अंतर्गत उन्होंने लगभग दो सप्ताह तक अंतरिक्ष में रहकर वैज्ञानिक प्रयोग किए और अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव को साझा किया।
यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। राकेश शर्मा के बाद पहली बार कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचा। लेकिन इस बार अंतर कुछ और था—यह कोई साधारण अंतरिक्ष यात्रा नहीं थी, बल्कि इसमें भारत की सैन्य और वैज्ञानिक शक्ति का समन्वय था। यह मिशन इसरो, नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संभव हो सका।
शुभांशु शुक्ला ने अपने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा, “अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी एक ही नजर आती है। कोई सीमाएं नहीं होतीं, कोई देश की पहचान नहीं होती। सब कुछ एक है—एक मानवता, एक धरती।” यह कथन केवल एक यात्री का अनुभव नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक संदेश है। ऐसे समय में जब दुनिया विभिन्न मतभेदों से जूझ रही है, शुभांशु की यह बात लोगों को एकता और मानवीय दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करती है।
AX-4 मिशन के अंतर्गत शुभांशु ने अनेक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया। उन्होंने मांसपेशियों के पतन, माइक्रोएल्गी, बैक्टीरिया के व्यवहार, मानव कोशिकाओं की प्रतिक्रिया आदि जैसे शोध कार्यों में योगदान दिया। उनके काम का सीधा असर भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं और स्वास्थ्य विज्ञान पर पड़ेगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनका यह मिशन केवल एक उड़ान नहीं थी, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रदर्शन भी था।
शुभांशु का यह मिशन भारतीय युवाओं के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब केवल उपग्रह प्रक्षेपणों में ही नहीं, बल्कि मानव अंतरिक्ष अभियानों में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उनके इस प्रयास ने Gaganyaan मिशन के लिए भी एक मजबूत नींव रखी है, जो भारत का आगामी स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन है।
जब शुभांशु की अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरें सार्वजनिक की गईं, तो पूरे देश में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाइयों का तांता लग गया। उनकी मुस्कुराती हुई तस्वीरें, जिसमें वह अंतरिक्ष से पृथ्वी को देख रहे हैं, हर भारतीय के दिल में गर्व और सम्मान की भावना जगा रही हैं। यह तस्वीरें केवल दृश्य नहीं हैं, बल्कि यह प्रतीक हैं उस लंबी यात्रा का जिसे भारत ने विज्ञान और तकनीक के माध्यम से तय किया है।
यह गौरवपूर्ण उपलब्धि दर्शाती है कि भारत न केवल आर्थिक और सामाजिक विकास के क्षेत्र में बल्कि विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी एक सशक्त राष्ट्र बन चुका है। शुभांशु जैसे बहादुर और समर्पित अधिकारी इस बात का प्रमाण हैं कि भारत की नई पीढ़ी अब सीमाओं के बाहर सोच रही है—सीमाओं के पार जाकर नई ऊंचाइयों को छू रही है।
अंतरिक्ष से आई यह तस्वीरें हमें न केवल तकनीकी विकास का संकेत देती हैं, बल्कि एक और गहरे स्तर पर हमें आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा भी देती हैं। जब हम अंतरिक्ष से अपनी पृथ्वी को देखते हैं, तो वह सीमाओं से मुक्त, सुंदर और शांत दिखाई देती है। शायद यह हमारे लिए एक संकेत है—कि हम भी अपने समाज को सीमाओं से मुक्त करें, आपसी सौहार्द बढ़ाएं, और मिलकर एक बेहतर विश्व की कल्पना करें।
भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष में अपना परचम लहराया है और यह केवल एक शुरुआत है। आने वाले वर्षों में Gaganyaan और अन्य मिशनों के माध्यम से भारत और भी नई ऊंचाइयों को छुएगा। लेकिन इस सफर में शुभांशु शुक्ला का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
“देश को गर्व है शुभांशु शुक्ला पर, जिन्होंने अंतरिक्ष से हमें यह याद दिलाया कि हम कितनी ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं, यदि हममें हिम्मत, मेहनत और समर्पण हो।”
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