South Korea Wildfire: दक्षिण कोरिया इस समय अपने इतिहास की सबसे भीषण जंगल की आग से जूझ रहा है, जिसने अब तक कम से कम 27 लोगों की जान ले ली है और हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया है। यह आग 21 मार्च 2025 को सांचियोंग काउंटी में शुरू हुई थी और तेज़ हवाओं व सूखी परिस्थितियों के कारण तेजी से फैली, जिससे देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में व्यापक विनाश हुआ।
BREAKING: South Korea Battles Worst Wildfire Disaster in History..
Death toll rises to 26
A devastating wildfire in South Korea has doubled in size, claiming at least 26 lives, with the first reported death on Thursday, and incinerating historic temples.
– Over 33,000 hectares… https://t.co/Q0EtA1Zldj pic.twitter.com/wFe6tp46Yy
— Weather Monitor (@WeatherMonitors) March 27, 2025
आग का प्रसार और प्रभावित क्षेत्र
उईसियोंग काउंटी में लगी आग सबसे बड़ी रही, जिसने 33,000 हेक्टेयर (81,500 एकड़) से अधिक भूमि को जला दिया। यह दक्षिण कोरिया के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी वनाग्नि मानी जा रही है। आग की तीव्रता इतनी थी कि यह केवल 12 घंटों में 51 किलोमीटर दूर तट तक पहुंच गई।
आग ने दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में 37,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से विस्थापित किया है, जबकि 300 से अधिक संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। इनमें ऐतिहासिक गोउंसा मंदिर भी शामिल है, जो 681 ईस्वी में बनाया गया था और जिसमें कई राष्ट्रीय खजाने थे।
मौसम की भूमिका और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
तेज़ हवाओं और सूखी परिस्थितियों ने आग को नियंत्रित करने में बड़ी बाधा उत्पन्न की है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी परिस्थितियाँ अधिक सामान्य हो रही हैं, जिससे जंगल की आग की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है।
प्रतिक्रिया और बचाव कार्य
आग बुझाने के प्रयासों में हजारों कर्मियों और सैकड़ों हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है, लेकिन तेज़ हवाओं के कारण ये प्रयास बाधित हो रहे हैं। सरकार ने इस आपदा को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया है और आग बुझाने के लिए सैन्य संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है, जैसे कि गोउंसा मंदिर, जो लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया है। इसके अलावा, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हाहोई गांव और ब्योंगसान कन्फ्यूशियस अकादमी भी खतरे में हैं।
आग के संभावित कारण और जांच
प्रारंभिक जांच में मानव त्रुटि को आग का संभावित कारण माना जा रहा है। कुछ मामलों में, घास जलाने या वेल्डिंग के दौरान आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। उईसियोंग की आग का कारण एक व्यक्ति द्वारा परिवार की कब्रगाह की देखभाल के दौरान लाइटर का उपयोग बताया जा रहा है।
आलोचना और आपदा प्रबंधन की चुनौतियाँ
आपदा प्रबंधन अधिकारियों को उनकी प्रतिक्रिया के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आपातकालीन संदेशों की असंगतता और निकासी निर्देशों में विरोधाभास ने निवासियों में भ्रम पैदा किया, जिससे निकासी प्रक्रिया में देरी हुई। विशेष रूप से बुजुर्ग निवासियों के लिए, जो या तो जल्दी से नहीं निकल सके या निकासी से इनकार कर दिया, स्थिति और भी गंभीर हो गई।
आर्थिक और सांस्कृतिक क्षति
आग ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहरों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। गोउंसा मंदिर, जो 681 ईस्वी में बनाया गया था, लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया है, जिसमें दो राष्ट्रीय खजाने भी शामिल थे। इसके अलावा, हाहोई गांव और ब्योंगसान कन्फ्यूशियस अकादमी जैसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी खतरे में हैं।
दक्षिण कोरिया की सरकार और नागरिक समाज इस आपदा से उबरने के लिए एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, इस घटना ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और आपदा प्रबंधन प्रणालियों की तैयारी पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और उनसे निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
इस भीषण आग ने न केवल दक्षिण कोरिया के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। यदि हम अब भी सतर्क नहीं हुए, तो ऐसी आपदाएँ और भी अधिक विनाशकारी हो सकती हैं।