Sunita Williams returns to earth: पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर, जहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है और हर क्षण एक नया अनुभव होता है, वहीं नौ महीने बिताकर दो जांबाज़ अंतरिक्ष यात्री – सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर – आखिरकार धरती की गोद में लौट आए। 19 मार्च 2025 को दोनों ने अपने 286 दिन के अंतरिक्ष अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए, सुरक्षित वापसी की।
🌊 🚀 Splashdown successful! After 286 days in orbit, Astronauts Sunita Williams and Butch Wilmore make a triumphant return to Earth 👨🚀✨🌍🚀 | https://t.co/WrcSRXYJWy#SpaceExploration #SunitaWilliams #NASA #AstronautLife #Splashdown #ButchWilmore #SpaceX pic.twitter.com/tQKnWQpKY4
— Economic Times (@EconomicTimes) March 18, 2025
इस ऐतिहासिक वापसी की कहानी सिर्फ विज्ञान और तकनीक की नहीं है, बल्कि मानवीय जिज्ञासा, साहस और धैर्य की भी है। सुनीता और बुच 5 जून 2024 को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के ज़रिए 10 दिन के छोटे से मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए थे। लेकिन नियति और तकनीक ने इस सफर को 286 दिन लंबा बना दिया। स्टारलाइनर के थ्रस्टर में आई तकनीकी गड़बड़ी के चलते उनकी वापसी टलती रही, और हर दिन एक नई चुनौती बनकर सामने आता रहा।
हालांकि इस अप्रत्याशित स्थिति में भी दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने ISS पर कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया, स्पेसवॉक किए और स्टेशन के रखरखाव में अहम भूमिका निभाई। खास बात यह रही कि सुनीता विलियम्स ने इस दौरान एक नया इतिहास रच दिया। जनवरी 2025 में उन्होंने कुल 62 घंटे 6 मिनट की स्पेसवॉक पूरी की – जो किसी महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा सबसे लंबी स्पेसवॉक मानी जा रही है।
सुनीता विलियम्स का यह मिशन सिर्फ वैज्ञानिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह प्रेरणा का स्रोत भी है। भारतीय मूल की इस अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री ने पहले भी अंतरिक्ष यात्राओं में कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन इस बार की चुनौती बेहद अलग थी। एक ऐसी परिस्थिति में जब तकनीकी खराबी के कारण लौटने की राह बंद हो जाए, तब मानसिक मजबूती ही सबसे बड़ी शक्ति बन जाती है। और सुनीता ने यह शक्ति दिखाकर पूरी दुनिया को चकित कर दिया।
बुच विल्मोर, जो खुद एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं, ने इस पूरे अभियान में संयम और नेतृत्व का परिचय दिया। दोनों ने मिलकर ISS को न केवल सुचारु रूप से संचालित रखा, बल्कि मिशन कंट्रोल के साथ मिलकर हर बाधा का समाधान भी निकाला।
19 मार्च को जब उनकी वापसी स्पेसएक्स के क्रू-10 मिशन के ज़रिए हुई, तब दुनिया भर में विज्ञान प्रेमियों और उनके परिवारों ने राहत की सांस ली। पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें विशेष पुनर्वास प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आ सकती है, जिसे ठीक करने के लिए विशेष व्यायाम और चिकित्सा की आवश्यकता होती है। दोनों को यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी ताकि उनका शरीर दोबारा पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अनुरूप हो सके।
इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसमें मानव धैर्य, वैज्ञानिक दृष्टि और तकनीकी कौशल का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। जहां एक तरफ बोइंग और नासा की तकनीकी चुनौतियों ने तनाव बढ़ाया, वहीं दूसरी तरफ स्पेसएक्स ने क्रू-10 मिशन के ज़रिए इस संकट को हल किया।
इस अनुभव से आने वाले अंतरिक्ष अभियानों को नई दिशा मिलेगी। खासकर जब मानव मिशन चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर भेजने की तैयारी हो रही है, तो इस तरह की परिस्थितियां बेहद मूल्यवान सबक देती हैं। सुनीता और बुच का यह लंबा और अप्रत्याशित मिशन भविष्य के अभियानों की योजना बनाने में मदद करेगा।
इस सफल वापसी के साथ एक सवाल और उठता है – क्या अब तकनीकी खामियों से बचने के लिए अंतरिक्ष अभियानों में और अधिक सुरक्षा उपाय किए जाएंगे? यह स्पष्ट है कि अंतरिक्ष यात्रा अब केवल एक रोमांच नहीं, बल्कि मानवता के विकास का अगला पड़ाव बन चुकी है। और इसमें सुनीता विलियम्स जैसे अंतरिक्ष यात्री प्रेरणा के स्तंभ बनकर उभरे हैं।
धरती पर लौटते समय सुनीता के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह इस बात की गवाही देती है कि अंतरिक्ष में बिताए हर क्षण ने उन्हें और मजबूत, और अधिक प्रेरणादायक बना दिया। उनका यह साहसिक अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर रहेगा।