Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा आखिरकार भारत वापस लाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से एक विशेष विमान आज रवाना हो चुका है, जिसमें राणा को भारत लाया जा रहा है। यह विमान कल दोपहर दिल्ली पहुंचेगा और एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) उसे तुरंत अपनी हिरासत में ले लेगी।
Indian Team after taking custody of #TahawwurRana has left from US; They will likely arrive in #Delhi on Wednesday. As per Sources, Flight carrying Rana took off at 7.10 pm IST. #tahawwurranaextradition @PMOIndia @narendramodi @HMOIndia @AmitShah @CBIHeadquarters @NIA_India… pic.twitter.com/SZpYRSifWo
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) April 9, 2025
भारत के लिए यह एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से राणा के प्रत्यर्पण को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही थी। अब जब वह सभी अमेरिकी कानूनी विकल्पों को खत्म कर चुका है, तो उसे भारत भेजा जा रहा है ताकि वह भारतीय कानून का सामना कर सके।
तहव्वुर राणा कौन है?
तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का नागरिक है, जो कनाडा की नागरिकता भी रखता है। वह पाकिस्तान सेना में डॉक्टर रह चुका है और बाद में कनाडा जाकर एक इमिग्रेशन सेवा कंपनी शुरू की थी। राणा का नाम 26/11 मुंबई हमलों की साजिश में इसलिए आया क्योंकि उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड हेडली की भारत में रेकी करने में मदद की थी। हेडली ने हमले से पहले कई जगहों का दौरा किया था, जिसमें राणा के व्यवसाय का सहारा लिया गया था।
अमेरिका में कानूनी लड़ाई और सजा
2009 में राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। 2013 में डेनमार्क के एक अखबार के खिलाफ आतंकी हमले की साजिश रचने के मामले में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान उसे स्वास्थ्य कारणों से अस्थायी रिहाई मिली। तभी भारत ने उसका प्रत्यर्पण मांगा।
राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिका में कई स्तरों पर कानूनी अपीलें कीं। पहले जिला अदालत, फिर अमेरिकी कोर्ट ऑफ अपील्स और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक वह गया, लेकिन हर जगह उसे झटका लगा। अंत में जब सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी, तो अमेरिका में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हुई।
भारत की तैयारियां
भारत सरकार और एजेंसियों ने राणा को लाने के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी। एनआईए और रॉ (RAW) की एक संयुक्त टीम उसे लाने के लिए अमेरिका रवाना हुई थी। भारत सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी थी कि राणा ने 26/11 हमलों में अहम भूमिका निभाई है और उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
जैसे ही राणा भारत पहुंचेगा, उसे दिल्ली में एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा, जहां एनआईए उसकी रिमांड की मांग करेगी। माना जा रहा है कि राणा से पूछताछ के दौरान कई और अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं, जो आतंकी नेटवर्क के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती दे सकती हैं।
राणा की भूमिका
राणा पर आरोप है कि उसने डेविड हेडली को भारत में रेकी करने में मदद की और भारत में उसके रहने, घूमने, और सरकारी अधिकारियों से मिलाने में भी सहयोग किया। हेडली की रिपोर्ट के आधार पर ही लश्कर-ए-तैयबा ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हमला किया, जिसमें 166 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हुए।
राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व
राणा का प्रत्यर्पण केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, यह भारत और अमेरिका के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंधों का भी प्रमाण है। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि अब दुनिया आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है और अपराधियों को कहीं भी पनाह नहीं मिलेगी।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत लंबे समय से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाता रहा है और यह एक उदाहरण है कि संयम, प्रमाण और कूटनीतिक प्रयासों से कैसे न्याय की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
आशाएं और अपेक्षाएं
26/11 के हमलों ने देश की आत्मा को झकझोर दिया था। वर्षों बाद, जब तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है, तो पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए यह न्याय की उम्मीद की एक किरण बनकर उभरा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि भारत की अदालतें और जांच एजेंसियां कैसे इस मामले को आगे बढ़ाती हैं।
राणा की गिरफ्तारी से यह संदेश भी गया है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मामले में कभी समझौता नहीं करेगा।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की आतंकवाद के खिलाफ जंग में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। यह केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह न्याय, कानून और मानवता की जीत है।
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