Tahawwur Rana extradition: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इन हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। अब, इन हमलों के एक मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा की अमेरिका से भारत को प्रत्यर्पण की खबर ने न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।
तहव्वुर राणा: एक परिचय
तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक और शिकागो स्थित व्यवसायी हैं। उन्हें 2008 के मुंबई हमलों में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। राणा पर आरोप है कि उन्होंने अपने बचपन के मित्र डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर इन हमलों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम देने में सहायता की। हेडली ने राणा की शिकागो स्थित इमिग्रेशन लॉ फर्म की मुंबई शाखा का उपयोग करते हुए हमलों के लक्ष्यों की रेकी की थी।
अमेरिका में कानूनी प्रक्रिया और प्रत्यर्पण
राणा को अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था और 2011 में उन्हें लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेनमार्क के एक समाचार पत्र पर हमले की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। हालांकि, मुंबई हमलों में उनकी सीधी भूमिका के आरोपों से वे बरी हो गए थे। बाद में, भारत सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की, जिसे अमेरिकी अदालत ने मई 2023 में मंजूरी दी।
प्रत्यर्पण के खिलाफ राणा की दलीलें
राणा के वकीलों ने प्रत्यर्पण के खिलाफ दो मुख्य दलीलें दीं:
- दोहरे मुकदमे का निषेध: उन्होंने तर्क दिया कि राणा को पहले ही अमेरिका में समान आरोपों के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ा है और उन्हें बरी किया गया है, इसलिए उन्हें दोबारा उसी अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
- पर्याप्त साक्ष्यों की कमी: उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य प्रत्यर्पण के लिए आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
अमेरिकी अदालत का निर्णय
अमेरिकी जिला न्यायाधीश जैकलीन चूल्जियन ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि भारत द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य प्रत्यर्पण के लिए पर्याप्त हैं और राणा के खिलाफ आरोप प्रत्यर्पण संधि के दायरे में आते हैं। उन्होंने राणा को भारत भेजने का आदेश दिया ताकि वे वहां मुकदमे का सामना कर सकें।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने राणा के प्रत्यर्पण को सरकार की कूटनीतिक सफलता बताया और कहा कि यह न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उन सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है जिन्होंने भारत के खिलाफ अपराध किए हैं।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण 26/11 हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह भारत और अमेरिका के बीच मजबूत सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष का प्रतीक है। अब, राणा के भारत में मुकदमे का परिणाम देखना महत्वपूर्ण होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दोषियों को उनके अपराधों की सजा मिले।
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