Telangana SLBC Tunnel Rescue

Telangana SLBC Tunnel Rescue: पांचवें दिन भी जारी बचाव अभियान, स्निफर डॉग्स और विशेष तकनीकों का सहारा

Telangana SLBC Tunnel Rescue: तेलंगाना के नागरकर्नूल जिले के दुम्मालपेंट में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग में हुए हादसे का आज पांचवां दिन है, और आठ मजदूरों को बचाने के प्रयास लगातार जारी हैं। शनिवार सुबह सुरंग की छत गिरने से ये मजदूर लगभग 14 किलोमीटर अंदर फंस गए थे। सुरंग के अंदर कीचड़ और मलबे के जमाव के कारण बचाव कार्यों में कठिनाइयाँ आ रही हैं, जिससे अंतिम 50 मीटर तक पहुँचना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

जिला कलेक्टर ने बताया कि कीचड़ के ठोस होने से बचाव दलों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए विशेष उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, फंसे हुए मजदूरों का पता लगाने के लिए स्निफर डॉग्स की मदद ली जा रही है।

राज्य सरकार ने केंद्र से राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Centre of Seismology) द्वारा भूकंपीय अध्ययन कराने का अनुरोध किया है ताकि प्रभावित क्षेत्र में दरारों की मात्रा और जल संतृप्ति का आकलन किया जा सके। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र, हैदराबाद और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) से स्थल और उप-सतह मूल्यांकन करने का आग्रह किया है ताकि बचाव कार्यों में लगे दलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री भट्टी सहित चार मंत्रियों ने विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। उन्होंने बचाव कार्यों में तेजी लाने और फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सभी संभव प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे हैं।

बचाव कार्यों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), भारतीय सेना और नौसेना के विशेषज्ञ दल शामिल हैं। सुरंग में पानी और कीचड़ के जमाव के कारण बचाव कार्यों में बाधाएँ आ रही हैं, लेकिन उच्च क्षमता वाले पंपों और अन्य उपकरणों की मदद से पानी निकालने और मलबा हटाने का काम जारी है।

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, वेंटिलेशन और ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। बचाव दलों ने सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक पहुँच बना ली है, लेकिन अंतिम 500 मीटर में कीचड़ और मलबे के कारण आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञ विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें सुरंग के ऊपर से प्रवेश करने की संभावना भी शामिल है।

स्थानीय समुदाय और फंसे हुए मजदूरों के परिवारजन बचाव कार्यों की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। समय बीतने के साथ उनकी चिंता बढ़ती जा रही है, लेकिन बचाव दलों का कहना है कि वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं और जल्द ही सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है।

इस घटना ने सुरंग निर्माण और सुरक्षा मानकों पर भी सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की परियोजनाओं में उच्चतम सुरक्षा मानकों का पालन किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके। सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

बचाव कार्यों में शामिल सभी एजेंसियाँ और अधिकारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। पूरे देश की निगाहें इस बचाव अभियान पर टिकी हैं, और सभी उनकी सकुशल वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं।

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