Trump-Zelenskyy meeting: हाल ही में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच हुई बैठक के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है। इस बैठक के बाद अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गेबार्ड ने यूरोपीय देशों पर ‘दोहरी मानदंड’ अपनाने का आरोप लगाया है, जिससे अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच मतभेद उजागर हुए हैं।
Did NATO & the Left Cabal in America send Zelenskyy for a meeting with President Trump?? Nobody creates a scene like that at the Oval Office with the President if he’s looking for a peace deal.
The U.S. National Intelligence Director Tulsi Gabbard has sharply criticized Zelensky, pic.twitter.com/J5eIqjeAXm— Augadh (@AugadhBhudeva) March 3, 2025
बैठक की पृष्ठभूमि और तनावपूर्ण माहौल
व्हाइट हाउस में आयोजित इस बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप ने जेलेंस्की के रुख से असंतुष्ट होकर उन्हें स्पष्ट संदेश दिया: “आप या तो समझौता करेंगे, या हम बाहर हैं। और अगर हम बाहर हैं, तो आपको खुद ही लड़ना होगा। लेकिन आपके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।” उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी जेलेंस्की से अमेरिकी सहायता के प्रति उनकी कृतज्ञता पर सवाल उठाए, यह संकेत देते हुए कि भविष्य में समर्थन सुनिश्चित नहीं है।
तनाव बढ़ने पर, ट्रंप ने अचानक बैठक समाप्त कर दी, जिससे जेलेंस्की को अन्य सहयोगियों की तलाश करनी पड़ी। इसके बाद, जेलेंस्की तुरंत ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मिलने लंदन रवाना हुए, जहां उन्हें ब्रिटेन और फ्रांस के नए शांति प्रस्ताव के लिए समर्थन मिला। यूरोपीय नेता लंदन में एकत्रित हुए और वॉशिंगटन की स्वीकृति की प्रतीक्षा किए बिना आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
तुलसी गेबार्ड की आलोचना और यूरोप की भूमिका पर सवाल
इस घटनाक्रम के बीच, तुलसी गेबार्ड ने यूरोपीय देशों की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “वे स्पष्ट रूप से पुतिन के खिलाफ खड़े हैं। लेकिन वे वास्तव में किसके लिए लड़ रहे हैं? क्या वे वास्तव में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों के साथ संरेखित हैं, या वे केवल अपने स्वयं के हितों के लिए इस युद्ध को लंबा खींच रहे हैं?”
गेबार्ड ने यूक्रेन में अधिनायकवाद के संकेतों की ओर इशारा किया, जैसे राजनीतिक विपक्ष पर कार्रवाई, मीडिया नियंत्रण और चुनावों को रद्द करना। उन्होंने कहा, “यूक्रेन में वास्तविकता उन मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है जिनके लिए वे लड़ने का दावा करते हैं। और यूरोप इसे सक्षम बना रहा है।”
यूरोप की ‘दोहरी मानदंड’ नीति पर बहस
गेबार्ड की टिप्पणी ने यूरोप की ‘दोहरी मानदंड’ नीति पर बहस छेड़ दी है। एक ओर, यूरोपीय देश लोकतंत्र और स्वतंत्रता के समर्थक होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर, वे ऐसे देशों का समर्थन करते हैं जहां इन मूल्यों का पालन संदिग्ध है। यह विरोधाभास अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
अमेरिका और यूरोप के बीच बढ़ते मतभेद
ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय नेताओं के बीच बढ़ते मतभेद स्पष्ट हैं। जहां अमेरिका यूक्रेन पर दबाव बना रहा है कि वह रूस के साथ बातचीत के लिए तैयार हो, वहीं यूरोपीय देश यूक्रेन को निरंतर समर्थन प्रदान कर रहे हैं, जिससे युद्ध की अवधि बढ़ रही है। यह विभाजन न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण में है, बल्कि मूल्यों और प्राथमिकताओं में भी है।
भविष्य की दिशा और संभावित परिणाम
इस स्थिति में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिका और यूरोपीय देश कैसे अपने मतभेदों को सुलझाते हैं और यूक्रेन संकट के समाधान के लिए एक संयुक्त रणनीति विकसित करते हैं। यदि ये मतभेद जारी रहते हैं, तो यह न केवल यूक्रेन के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
तुलसी गेबार्ड की आलोचना ने यूरोप की नीतियों और उनके वास्तविक उद्देश्यों पर एक नई बहस को जन्म दिया है। यह आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ईमानदारी से आत्ममंथन करे और यह सुनिश्चित करे कि उनके कार्य वास्तव में उन मूल्यों के अनुरूप हों जिनका वे प्रचार करते हैं। केवल तभी हम एक न्यायसंगत और स्थिर विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ सकते हैं।