अब उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग करने वालों की खैर नहीं होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत रैगिंग को रोकने के लिए सख्त उपाय लागू किए जाएंगे। यदि कोई संस्थान इन नियमों का पालन करने में असफल होता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
रैगिंग रोकने के लिए सख्त कदम
UGC ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) को अपने परिसर में रैगिंग रोकने के लिए एंटी-रैगिंग समितियां बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही संस्थानों को कैंपस, हॉस्टल, कैंटीन और लाइब्रेरी जैसे स्थानों पर जागरूकता पोस्टर लगाने और छात्रों के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
छात्रों की सुरक्षा के लिए संस्थानों को हॉस्टल और अन्य जगहों पर सरप्राइज इंस्पेक्शन करने और सीसीटीवी कैमरे लगाने की सलाह दी गई है।
छात्रों के लिए हेल्पलाइन और जागरूकता अभियान
रैगिंग की घटनाओं से निपटने के लिए UGC ने एक हेल्पलाइन नंबर और ईमेल सेवा शुरू की है, जहां छात्र सीधे अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा, छात्रों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित करने की सिफारिश की गई है।
संस्थानों से यह भी कहा गया है कि वे सीनियर और जूनियर छात्रों के बीच बेहतर संबंध बनाने के लिए मेंटर-मेंटी प्रोग्राम लागू करें। इस प्रोग्राम के तहत सीनियर छात्र जूनियर छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे, जिससे संवाद बढ़ेगा और रैगिंग की घटनाएं कम होंगी।
जवाबदेही और कड़ी निगरानी
UGC ने चेतावनी दी है कि गंभीर रैगिंग की घटनाओं या किसी छात्र की आत्महत्या जैसे मामलों में संस्थानों के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इन मामलों की जांच के लिए विशेष समितियां गठित की जाएंगी और कानूनी विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
रैगिंग विरोधी उपायों को लागू करने में लापरवाही बरतने वाले संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सकारात्मक और सुरक्षित माहौल की पहल
UGC का उद्देश्य छात्रों को एक सुरक्षित और सकारात्मक शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराना है, जहां वे बिना किसी डर के अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। यह कदम छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग को जड़ से खत्म करने के लिए उठाया गया है।