Ukraine US Minerals Deal: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक नया मोड़ सामने आया है, और इस बार यह मोड़ है यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों का। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के इन खनिजों तक पहुंच बनाने के लिए एक डील पर सहमत होने वाले हैं। यह डील न केवल यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अमेरिका के लिए भी एक बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये दुर्लभ खनिज हैं क्या, और क्यों इन्हें लेकर अमेरिका और रूस दोनों ही इतने उत्सुक हैं?
The U.S. and Ukraine have agreed on the terms of a draft minerals deal central to Kyiv’s push to win Washington’s support as President Donald Trump seeks to rapidly end the war with Russia.#Watch | DD India’s @markplynn discusses with Former Senior Diplomat @AmbMoKumar… pic.twitter.com/Myvul4WWeE
— DD India (@DDIndialive) February 26, 2025
यूक्रेन के दुर्लभ खनिज: क्या है इनका महत्व?
यूक्रेन के पास दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) का भंडार है, जो आधुनिक तकनीक और उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण, रिन्यूएबल एनर्जी और यहां तक कि स्मार्टफोन जैसे उपकरणों के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं। इन खनिजों में लैंथेनम, नियोडिमियम, प्रेसियोडिमियम, और टर्बियम जैसे तत्व शामिल हैं, जो आधुनिक तकनीक के लिए अनिवार्य माने जाते हैं।
दुर्लभ खनिजों की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि ये हरित ऊर्जा (Green Energy) और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में भी इस्तेमाल होते हैं। यूक्रेन के पास इन खनिजों का विशाल भंडार है, जो इसे एक रणनीतिक महत्व का देश बनाता है। अमेरिका चाहता है कि वह इन खनिजों तक पहुंच बनाकर अपनी तकनीकी और रक्षा उद्योग की निर्भरता चीन पर कम कर सके, क्योंकि वर्तमान में चीन दुर्लभ खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है।
रूस और अमेरिका की दिलचस्पी: क्या है खेल?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही अमेरिका को यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में दुर्लभ खनिजों में निवेश का प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव रूस के लिए एक रणनीतिक कदम था, क्योंकि इससे न केवल रूस को आर्थिक लाभ मिलता, बल्कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को भी मजबूत कर सकता था। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और अमेरिका के साथ सीधे डील करने का फैसला किया।
जेलेंस्की का यह कदम यूक्रेन की मजबूरी भी है। यूक्रेन को रूस के साथ चल रहे युद्ध में अमेरिका का समर्थन चाहिए, और इसके बदले में वह अपने दुर्लभ खनिजों तक अमेरिका की पहुंच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गया है। यह डील यूक्रेन के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे उसे अमेरिका से आर्थिक और सैन्य सहायता मिलने की उम्मीद है।
क्या युद्ध अपने अंतिम चरण में है?
रूस-यूक्रेन युद्ध अब अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है, और ऐसा लग रहा है कि यह युद्ध अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही रूस के साथ शांति समझौते की उम्मीदें बढ़ गई हैं। ट्रंप ने कई बार रूस के साथ संबंध सुधारने की बात कही है, और इस युद्ध को समाप्त करने के लिए वह एक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, युद्ध के अंत के लिए अभी भी कई चुनौतियां हैं। रूस और यूक्रेन के बीच विश्वास की कमी, यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों का मुद्दा, और अब दुर्लभ खनिजों को लेकर अमेरिका की दिलचस्पी जैसे कारक इस युद्ध को और जटिल बना रहे हैं। यदि अमेरिका और यूक्रेन के बीच यह डील हो जाती है, तो यह रूस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इससे रूस की यूक्रेन पर दबाव बनाने की रणनीति कमजोर हो सकती है।
यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों को लेकर अमेरिका और रूस की दिलचस्पी इस युद्ध को एक नए मोड़ पर ले जा रही है। यह डील न केवल यूक्रेन के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है, बल्कि यह अमेरिका को चीन पर अपनी निर्भरता कम करने में भी मदद कर सकती है। हालांकि, यह डील रूस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है, और इससे युद्ध की दिशा भी बदल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह डील युद्ध को समाप्त करने में कितनी मददगार साबित होती है, या फिर इसे और जटिल बना देती है।