US Started Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में सभी आयातों पर 10% “बेसलाइन” टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित वैश्विक व्यापार मानदंडों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। यह टैरिफ 5 अप्रैल 2025 को अमेरिकी समुद्री बंदरगाहों, हवाई अड्डों और कस्टम वेयरहाउस में आधी रात के बाद से प्रभाव में आया।
US starts collecting Trump's new 10% tariff, smashing global trade norms https://t.co/DQVU3gpmiw pic.twitter.com/nPQdj9S34V
— AsiaOne (@asiaonecom) April 5, 2025
टैरिफ का दायरा और प्रभावित देश
इस नए टैरिफ के तहत ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कोलंबिया, अर्जेंटीना, मिस्र और सऊदी अरब जैसे देशों से आयातित सभी वस्तुओं पर तत्काल 10% शुल्क लगाया गया है। इसके साथ ही, अगले सप्ताह से 57 बड़े व्यापारिक साझेदारों से आने वाले सामान पर और भी अधिक दरों से टैक्स वसूला जाएगा। उदाहरण के तौर पर यूरोपीय संघ से आयातित वस्तुओं पर 20% और चीन से आयात पर 34% टैरिफ तय किया गया है।
वैश्विक बाजार में हलचल
इस घोषणा के तुरंत बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। दो दिनों के भीतर S&P 500 में लिस्टेड कंपनियों के कुल बाजार मूल्य में लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर की कमी आई। तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों में भी बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि निवेशक अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की ओर भागते नज़र आए।
चीन की कड़ी प्रतिक्रिया
चीन ने अमेरिका की इस एकतरफा नीति की तीव्र आलोचना की है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। चीन की संभावित प्रतिक्रियाओं में अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स, अमेरिकी टेक कंपनियों के खिलाफ जांच और महत्वपूर्ण कच्चे माल के निर्यात पर रोक जैसे कदम शामिल हो सकते हैं। यह स्थिति एक संभावित वैश्विक व्यापार युद्ध की आहट देती है।
ट्रम्प प्रशासन का पक्ष
राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस कदम को अमेरिका की “आर्थिक स्वतंत्रता की घोषणा” बताया है। उनके अनुसार, यह नीति अमेरिका की फैक्ट्रियों और नौकरियों को वापस लाने में मदद करेगी और देश के औद्योगिक आधार को फिर से मजबूत बनाएगी। ट्रम्प ने यह भी कहा कि यह कदम अमेरिका को वैश्विक व्यापार में और अधिक “फेयर डील” दिलाने में मदद करेगा।
विशेषज्ञों की चेतावनी
हालांकि, अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञ ट्रम्प की नीति को लेकर सतर्क हैं। उनका मानना है कि इससे घरेलू उपभोक्ताओं को सामान की कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है और महंगाई दर बढ़ सकती है। साथ ही, अन्य देशों की जवाबी कार्रवाइयों से अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान हो सकता है, जिससे अमेरिका के खुद के व्यापार घाटे में भी बढ़ोतरी संभव है।
ट्रम्प की यह नई टैरिफ नीति न केवल वैश्विक व्यापार संरचना को चुनौती देती है, बल्कि अमेरिका के लिए भी आर्थिक जोखिम पैदा करती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में अन्य देश किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं और वैश्विक व्यापार किस दिशा में आगे बढ़ता है। अधिक समाचार के लिए पढ़ते रहिए जनविचार।