Veena Reddy and the $21 million controversy

Veena Reddy and the $21 million controversy: विदेशी फंडिंग पर क्यों भिड़े भाजपा और कांग्रेस?

Veena Reddy and the $21 million controversy: भारत में अमेरिकी एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) की पूर्व मिशन निदेशक, वीना रेड्डी, हाल ही में एक विवाद के केंद्र में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने भारत में मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर की धनराशि प्रदान की, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जांच की मांग की है। इस विवाद ने कांग्रेस और भाजपा के बीच विदेशी फंडिंग को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है, जिसमें USAID की भारत के चुनावी प्रक्रिया में भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

वीना रेड्डी: एक परिचय

आंध्र प्रदेश में जन्मी भारतीय-अमेरिकी वीना रेड्डी ने अगस्त 2021 में USAID की भारत में मिशन निदेशक का पदभार संभाला था। वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला हैं। इससे पहले, उन्होंने कंबोडिया में USAID की मिशन निदेशक और हैती में उप मिशन निदेशक के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल संरक्षण, लोकतंत्र और शासन सुदृढ़ीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योगदान दिया। न्यूयॉर्क, लंदन और लॉस एंजिल्स में कॉर्पोरेट अटॉर्नी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाली रेड्डी ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री और शिकागो विश्वविद्यालय से एमए और बीए की डिग्री प्राप्त की है। वाशिंगटन डी.सी. में सहायक जनरल काउंसल के रूप में, उन्होंने एशिया, मध्य पूर्व, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से संबंधित USAID के कानूनी मामलों को संभाला। भारत में अपने कार्यकाल के दौरान, रेड्डी ने स्वच्छ ऊर्जा, पर्यावरण सुधार, जलवायु परिवर्तन से निपटने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विवाद की जड़: 21 मिलियन डॉलर का फंड

विवाद तब शुरू हुआ जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि USAID ने भारत में मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया। भाजपा ने इस दावे को आधार बनाकर कांग्रेस पर विदेशी हस्तक्षेप की मांग करने का आरोप लगाया, विशेष रूप से राहुल गांधी के 2023 में विदेशों में भारतीय लोकतंत्र की स्थिति पर की गई टिप्पणियों के संदर्भ में। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस विदेशी संस्थाओं से समर्थन प्राप्त कर भारतीय चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार से मांग की है कि वह USAID द्वारा भारत में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को प्रदान की गई धनराशि पर श्वेत पत्र जारी करे। कांग्रेस का तर्क है कि विदेशी फंडिंग के मुद्दे पर पारदर्शिता आवश्यक है और सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि किन संगठनों को USAID से धन प्राप्त हुआ है।

USAID की भूमिका और उद्देश्य

USAID एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है जो वैश्विक विकास और मानवीय सहायता प्रदान करती है। भारत में, USAID ने पिछले सात दशकों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, और लोकतंत्र सुदृढ़ीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग किया है। मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए धनराशि प्रदान करना USAID के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य का हिस्सा है। हालांकि, इस प्रकार की फंडिंग को लेकर संप्रभुता और विदेशी हस्तक्षेप के मुद्दों पर बहस होती रही है।

विदेशी हस्तक्षेप पर व्यापक बहस

यह विवाद केवल USAID तक सीमित नहीं है। हाल ही में, अमेरिका के पूर्व विदेश विभाग अधिकारी माइक बेंज ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप किया है। उनका दावा है कि अमेरिकी संस्थाओं ने मीडिया प्रभाव, सोशल मीडिया सेंसरशिप, और विपक्षी आंदोलनों को वित्तीय सहायता के माध्यम से इन देशों की राजनीति को प्रभावित किया। बेंज के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग ने फेसबुक, व्हाट्सऐप, यूट्यूब, और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों पर प्रभाव डालते हुए मोदी समर्थक कंटेंट पर अंकुश लगाने का प्रयास किया। इन आरोपों ने भारत में विदेशी हस्तक्षेप और संप्रभुता के मुद्दों पर एक नई बहस को जन्म दिया है।

वीना रेड्डी और USAID से जुड़े इस विवाद ने भारत में विदेशी फंडिंग और हस्तक्षेप के मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच, यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं पारदर्शिता सुनिश्चित करें और स्पष्ट करें कि विदेशी धनराशि का उपयोग कैसे और कहां किया जा रहा है। इससे न केवल जनता का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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