Waqf Amendment Bill 2025

Waqf Amendment Bill 2025: विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक को कांग्रेस की सुप्रीम चुनौती, अल्पसंख्यक अधिकारों पर सीधा हमला?

Waqf Amendment Bill 2025: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को ऐलान किया कि पार्टी जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बहुत जल्द वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। हमें विश्वास है और हम मोदी सरकार द्वारा संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और परंपराओं पर किए जा रहे हमलों का मजबूती से विरोध करते रहेंगे।”

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 क्या है?

इस विधेयक को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा संसद में पेश किया गया। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, तकनीक आधारित निगरानी प्रणाली लागू करना और कुछ कानूनी बदलाव करना बताया गया है।

विधेयक में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिनमें वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, ‘वक्फ बाय यूज़र’ जैसी अवधारणाओं को समाप्त करना और विवादित संपत्तियों के मामलों में अंतिम निर्णय का अधिकार सरकार को देना प्रमुख हैं।

विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और संपत्ति अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधेयक को वक्फ संपत्तियों को जबरन हड़पने की कोशिश करार दिया है।

DMK, AIMIM, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी कई पार्टियों ने संसद में विधेयक का विरोध किया और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की प्रक्रिया को एक “राजनीतिक नाटक” बताया। कई विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि समिति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और विपक्षी आवाजों को नजरअंदाज़ किया गया।

विवादास्पद प्रावधान क्या हैं?

1. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति

विधेयक के अनुसार अब राज्य वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को नामित किया जा सकता है। विपक्ष का कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है।

2. ‘वक्फ बाय यूज़र’ का खात्मा

यह प्रावधान उन संपत्तियों की वैधता पर सवाल खड़ा करता है जो वर्षों से मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक या सामुदायिक उपयोग में लाई जा रही हैं, भले ही उनके पास कानूनी दस्तावेज़ न हों।

3. सरकारी नियंत्रण में वृद्धि

अब सरकार को विवादित वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व का अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होगा। इससे समुदाय को डर है कि सरकार इन संपत्तियों पर अधिकार कर सकती है।

कांग्रेस का रुख और अगली रणनीति

कांग्रेस पार्टी का मानना है कि यह विधेयक संविधान में निहित अल्पसंख्यक अधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और संघीय ढांचे पर हमला करता है। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इसे “संविधान विरोधी” करार देते हुए कहा कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

जयराम रमेश ने भी दोहराया कि पार्टी इस मुद्दे पर अदालत में मजबूती से लड़ाई लड़ेगी और संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा करेगी।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर देश में गंभीर बहस छिड़ चुकी है। एक ओर सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां इस विधेयक की संवैधानिकता को चुनौती दी जाएगी।

यह मामला ना केवल कानूनी बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है और इसका असर लंबे समय तक देखा जा सकता है।

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