Waqf Amendment Bill 2025: 6 अप्रैल, 2025 को भारत में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अपनी मंजूरी दी। यह विधेयक अब कानून बन चुका है और इसे लेकर देशभर में चर्चा छिड़ गई है। वक्फ, जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियों को संदर्भित करता है, अब नए नियमों और पारदर्शिता के साथ संचालित होगा। यह बदलाव न सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर करेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को भी लाभ पहुंचाएगा। आइए, इस नए कानून की खासियतों और इसके प्रभाव को समझें।
The Waqf (Amendment) Act, 2025 received the assent of the President on April 5, 2025. (n/1) pic.twitter.com/huHcqpDqYM
— Press Trust of India (@PTI_News) April 5, 2025
वक्फ का मतलब और उसकी अहमियत
वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो ईश्वर के नाम पर दान की जाती है और इसका इस्तेमाल मस्जिदों, मदरसों, अनाथालयों या अन्य सामाजिक कार्यों के लिए होता है। भारत में करीब 8.7 लाख से ज्यादा पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं, जो 38 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हुई हैं। लेकिन इनमें से कई संपत्तियां दशकों से अतिक्रमण, कुप्रबंधन और कानूनी उलझनों का शिकार रही हैं। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 इसी समस्या को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
संसद में लंबी बहस के बाद मंजूरी
इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित करना आसान नहीं था। लोकसभा में 3 अप्रैल को 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद इसे 288 वोटों से पास किया गया, जबकि 232 सदस्यों ने इसका विरोध किया। अगले दिन राज्यसभा में भी 13 घंटे की चर्चा हुई और 128 वोटों के समर्थन के साथ यह बिल पारित हुआ, जिसमें 95 वोट खिलाफ पड़े। इस दौरान विपक्ष ने इसे “मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला” करार दिया, जबकि सरकार ने इसे “पारदर्शिता और सुधार का कदम” बताया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बहस अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है, जहां इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी जा रही है।
नए कानून में क्या बदलाव आए?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 कई बड़े बदलाव लेकर आया है। सबसे पहले, इसका नाम बदलकर “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम 1995” कर दिया गया है। यह नाम अपने आप में इस कानून के मकसद को दर्शाता है- उम्मीद और सशक्तिकरण। कुछ प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:
- पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन पंजीकरण: अब हर वक्फ संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य होगा। अगर कोई मालिक 6 महीने के भीतर ऐसा नहीं करता, तो ट्रिब्यूनल उसकी समय सीमा बढ़ा सकता है।
- गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी: केंद्रीय वक्फ परिषद में अब कम से कम दो गैर-मुस्लिम और दो महिला सदस्यों को शामिल करना जरूरी होगा। यह कदम समावेशिता को बढ़ावा देगा।
- विरासत अधिकारों की सुरक्षा: वक्फ-अलाल-औलाद (परिवार के लिए वक्फ) बनाने से महिलाओं सहित वारिसों के अधिकारों को नुकसान नहीं होगा।
- सरकारी जमीन पर दावे खत्म: अब वक्फ बोर्ड सरकारी जमीनों पर दावा नहीं कर सकेंगे, जिससे पुराने विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
सरकार का दावा और विपक्ष का विरोध
केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और कुशलता लाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर” बताया। वहीं, विपक्षी नेता जैसे असदुद्दीन ओवैसी और मोहम्मद जावेद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका आरोप है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करता है और संविधान के खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है।
समाज पर क्या होगा असर?
यह कानून न सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बदलेगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी इसका असर दिखेगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन संपत्तियों का सही इस्तेमाल हो, तो गरीब मुस्लिम समुदाय के लिए स्कूल, अस्पताल और आवास जैसी सुविधाएं बढ़ सकती हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “यह कानून वक्फ को एक पवित्र परंपरा के रूप में मजबूत करेगा।”
हालांकि, कुछ लोग इसे सत्ता का दुरुपयोग मानते हैं। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना वक्फ की मूल भावना के खिलाफ है। लेकिन सरकार का तर्क है कि यह सिर्फ प्रशासनिक सुधार के लिए है, न कि धार्मिक हस्तक्षेप के लिए।
आगे की राह
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 अब लागू हो चुका है, लेकिन इसकी असली परीक्षा आने वाले दिनों में होगी। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई और जनता की प्रतिक्रिया इस कानून के भविष्य को तय करेगी। क्या यह वाकई में पारदर्शिता और विकास लाएगा, या विवादों में उलझकर रह जाएगा? यह सवाल अभी अनसुलझा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के साथ वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 ने एक नई शुरुआत की है। यह कानून वक्फ संपत्तियों को आधुनिक और पारदर्शी ढांचे में लाने का वादा करता है। लेकिन इसके साथ उठ रहे सवाल और विरोध भी कम नहीं हैं। आने वाला वक्त ही बताएगा कि यह कदम कितना कारगर साबित होता है।
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